राज्य

सीएम ने तोड़ी चुप्पी, बोले- मुख्य सचिव करेंगे राई स्पोर्ट्स स्कूल में सामान खरीद में घोटाले की जांच

भिवानी.राई स्पोर्ट्स स्कूल में खेल के सामान खरीद में अनियमितता की जांच अब मुख्य सचिव डीएस ढेसी करेंगे। शुक्रवार को यहां विधायक घनश्याम सर्राफ के आवास पर मीडिया से मुखातिब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भास्कर के सवाले पर मामले पर पहली बार बोले। उन्होंने कहा, ‘खेल और वित्त विभाग की ओर से किए जा रहे दावों के साथ पूरे रिकॉर्ड की भी जांच कराई जाएगी।
सीएम ने तोड़ी चुप्पी, बोले- मुख्य सचिव करेंगे राई स्पोर्ट्स स्कूल में सामान खरीद में घोटाले की जांच
मेरी खुद इस पूरे मामले पर नजर है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’ मोती लाल नेहरू स्पोर्ट्स स्कूल, राई में खेल सामान खरीद में करोड़ों रुपए की अनियमितता का मामला करीब तीन महीने से सुर्खियों में है। स्कूल की प्रिंसिपल आईपीएस भारती अरोड़ा की ओर से फौरी जांच के बाद रिपोर्ट खेल मंत्री अनिल विज को सौंपी तो उन्होंने फाइल सीएम तक पहुंचाई। इसके बाद मामले की जांच आईएएस अशोक खेमका को सौंपने दी गई।
सीएम के ओएसडी की ओर से आदेश जारी किए गए, जिस पर खेमका का कहना था कि उन्हें मुख्य सचिव के आदेश चाहिए। ओएसडी के आदेश का कोई महत्व नहीं है। साथ उन्हें इसकी पावर दी जाए कि वह किसी को भी पूछताछ के लिए बुला सके और रिकॉर्ड तलब कर सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी बीच, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने विभागीय ऑडिट टीम का गठन कर स्कूल में भेज दी। टीम ने रिकॉर्ड कब्जे में लिया तो प्रिंसिपल अरोड़ा ने इस पर आपत्ति करते हुए खेल मंत्री को चिट्ठी लिखी।
इस पर मंत्री ने ऑडिट टीम के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए। इस मामले में ऑडिट टीम करीब तीन करोड़ रुपए तो प्रिंसिपल 4 करोड़ रुपए की अनियमितता बता रही हैं। माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार की जांच से हटकर मामला दो विभागों के मंत्रियों की प्रतिष्ठा का मामला बन गया है।
 
मीडिया में ऑडिट रिपोर्ट लीक होना गलत, मैंने खुद सीएम से की थी जांच की सिफारिश : विज
खेल मंत्री अनिल विज ने स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट मीडिया में लीक होने पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि स्पेशल ऑडिट पहले अकाउंटेंट जनरल (एजी) ऑफिस और उसके बाद लोक लेखा समिति (पीएसी) को जाता है। पीएसी ने लेखा परीक्षा के निर्णय लेने से पहले इसे लीक नहीं किया जा सकता है। यह पहले विधानसभा में रिकॉर्ड पेश किया जाता है। यहां पेश होने के बाद ही मामला सार्वजनिक किया जाता है। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। यह नियमों के अनुसार गलत है।
उनका कहना है कि “लगभग तीन महीने पहले, मैंने मुख्यमंत्री को इस मामले में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्तर की जांच के लिए कहा। उन्होंने अशोक खेमका से जांच के बारे में फैसला लिया, लेकिन इस बीच यह सब हुआ। इसकी जांच होनी चाहिए थी।

Related Articles

Back to top button