सीमावर्ती राज्यों में सीमा सुरक्षा ग्रिड स्थापित होगा : राजनाथ
नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती (आईबीबी) राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आज कोलकाता में हुई बैठक की अध्यक्षता की। सीमाओं की सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देते हुए गृह मंत्री ने इससे पहले भी भारत-चीन, भारत-म्यांमार, भारत-पाकिस्तान सीमाओं के लिए सीमा विशेष समीक्षा बैठकें आयोजित की थीं। बैठक में गृह मंत्री ने देश की सीमाओं की सुरक्षा की आवश्यकता तथा उचित व्यापार और वाणिज्य की सुविधा के लिए प्रणाली तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के बांग्लादेश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध है। इन सभी उपायों से सही व्यापार तथा लोगों के सीमा पार से वैध आवागमन की सुविधा होगी तथा उग्रवाद, अवैध प्रवास तथा पशुओं की तस्करी, जाली भारतीय मुद्रा तथा मादक पदार्थों, पर रोक लगाई जा सकेगी।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर अवैध प्रवासियों के प्रवेश पर रोक लगाने पर जोर दिया जिनमें से कुछ के अतिवादियों के साथ संपर्क हो सकते हैं जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं। सीमा प्रबंध पर व्यापक समीक्षा बैठक में उन्होंने सीमा पर तीव्र अवसंरचना विकास तथा सीमा सुरक्षा को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर जोर दिया। असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा तथा पश्चिम बंगाल सहित भारत के पांच राज्यों से लगती हुई भारत-बांग्लादेश सीमा 4096 कि.मी. लंबी है। अभी तक 3006 कि.मी. सीमा में सुरक्षा बाड, सड़कें, तीव्र प्रकाश तथा सीमावर्ती चौकियों की व्यवस्था की गई है। शेष 1090 कि.मी. सीमा में अभी काम शुरू किया जाना है। इसमें से 684 कि.मी. में बाड़ तथा संबद्ध अवसंरचना का निर्माण किया जाएगा और शेष 406 कि.मी. पर गैर-भौतिक अवरोधक लगाए जाऐंगे यद्यपि अधिकांश अवसंरचना पूर कर ली है या निर्माणाधीन है, कुछ भागों में भूमि अधिग्रहण की समस्या के कारण अभी काम शुरू किया जाना है। गृह मंत्री ने मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर भूमि अधिग्रहण में व्यक्तिगत रुचि लें।