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सीरिया संकट का राजनैतिक हल चाहता है भारत : मुखर्जी

pranab_144462986523_650x425_101215113835दस्तक टाइम्स/एजेंसी नई दिल्ली: भारत ने कहा कि सीरिया संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए संगठित वैश्विक प्रयास की जरूरत है. भारत ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संधि की बात दोहराई है. साथ ही 14 लाख सीरियाई शरणार्थियों को पनाह देने के लिए जार्डन की तारीफ की है.

हजारों लोगों का मारा जाना गंभीर चिंता का विषय
भारत और जार्डन के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर पर अलग-अलग बातचीत में ये बातें सामने आईं. बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया. जार्डन पक्ष का नेतृत्व वहां के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अनसूर और विदेश मंत्री नसीर एस जूदेह ने किया. बातचीत में सीरिया के मसले पर और वहां हजारों लोगों के मारे जाने पर गंभीर चिंता जताई गई. सीरिया में रूस की सैन्य कार्रवाई पर वाधवा ने कहा कि रूस प्राथमिक रूप से यही चाहता है कि चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट की बढ़त को रोका जा सके.

सीरिया के संकट का सैनिक हल नहीं
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में जार्डन पहुंचे हैं. भारत के सचिव (पूर्वी मामले) अनिल वाधवा ने भारत और जार्डन के बीच हुई बातचीत के बारे में मीडिया को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बातचीत में भारत ने अपना यह मत दोहराया कि सीरिया के संकट का सैनिक हल नहीं हो सकता.

सीरिया में संक्रमणकालीन व्यवस्था की जरूरत
उन्होंने बताया कि भारत ने साफ कर दिया कि वह जून 2012 में सीरिया एक्शन ग्रुप के प्रस्ताव के साथ है. यह स्विटजरलैंड के संयुक्त राष्ट्र दफ्तर में पारित हुआ था. इसमें कहा गया था कि सीरिया में न केवल सैन्य संघर्ष रुकना चाहिए बल्कि लोगों को शामिल कर मसले का राजनैतिक हल निकाला जाना चाहिए. भारत चाहता है कि सीरिया में संक्रमणकालीन व्यवस्था बने जिसमें मौजूदा सरकार और इससे बाहर की ताकतें शामिल हों.

आतंकवाद विरोधी संधि को अपनाने का वक्त आ गया है
बातचीत में भारत ने कहा कि एक दशक से ज्यादा के समय से लटकी पड़ी आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र संधि को अपनाने का वक्त आ गया है. इससे राज्य प्रायोजित आतंकवाद को रोकने में कामयाबी मिलेगी और इसे बढ़ावा देने वाले, इसके वित्तीय मददगारों, इसे अंजाम देने में मदद देने वालों पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी 

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