लखनऊ। राजधानी लखनऊ सहित सूबे के कई शहरों में स्थापित 30 से अधिक सीवरेज ट्रीटमेंट संयंत्रों का संचालन ठप होने की आशंका है। संयंत्रों को चलाने में खर्च होने वाली बिजली का बिल ही करीब 144 करोड़ से अधिक का बकाया हो चुका है। बिजली बिल का भुगतान न होने की दशा में सीवरेज ट्रीटमेंट संयंत्रों को चलाने को लिए गये कनेक्शन काटे जाने की कगार पर है। जल निगम के प्रबंध निदेशक पी.के. आसूदानी ने शासन को पत्र लिखकर इस बाबत हकीकत से अवगत कराया है और 194 करोड़ की धनराशि तत्काल मांगी है। जिसमें 86 करोड़ की धनराशि पिछले वित्तीय वर्ष की बकाया है। इसके अतिरिक्त 2014-15 में संयंत्रों के संचालन और रख-रखाव के लिए 208 करोड़ की धनराशि मांगी है। गंगा एक्शन प्लान तथा अन्य योजनाओं के तहत गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में सीवर का पानी रोकने को तीस से अधिक सीवरेज ट्रीटमेंट संयंत्रों बनाये गये हैं, जो लखनऊ, कानपुर, मिर्जापुर, इलाहाबाद, वाराणसी, फरूखाबाद सहित कई अन्य शहरों में हैं। इनके रख- रखाव और संचालन का काम जल निगम करता आ रहा है। जल निगम के पत्र के मुताबिक 2013-14 में सीवरेज ट्रीटमेंट संयंत्रों संचालन के लिए स्थानीय निकाय निदेशालय से 182.54 करोड़ मिलने थे,। मगर सिर्फ 96.46 करोड़ ही मिले। इसके अतिरिक्त वर्ष 2014-15 में सीवरेज ट्रीटमेंट संयंत्रों संचालन के लिए 194.10 करोड़ की धनराशि जल निगम को मिलनी है। जल निगम प्रबंध निदेशक ने अपने पत्र में लिखा है कि संयंत्रों के संचालन में बिजली का खर्च आता है।