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सुपरसोनिक बूम से दहला अमृतसर, टूट गईं खिड़कियां

गुरुवार रात भारी विस्फोटों की आवाज से अमृतसर के लोग दहल गए. कई घरों की तो कांच की खिड़कियां तक टूट गईं. इससे अमृतसर शहर में लोगों में तमाम तरह की आशंकाएं जाहिर की जाने लगीं. बाद में पता चला कि पंजाब में पाकिस्तान सीमा के पास भारतीय वायु सेना अभ्यास कर रही थी और यह आवाज सुपरसोनिक बूम की वजह से हुई है.

असल में अभ्यास के दौरान बड़ी संख्या में वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने पंजाब और जम्मू क्षेत्र के ऊपर सुपर सोनिक बूम तैयार कर दिया था. इसी वजह से विमानों के गुजरने के बाद भारी विस्फोट की आवाजें सुनी गई थीं. आइए
जानते हैं कि आखिर क्या होती है यह सुपर सोनिक बूम और इसमें विस्फोट जैसी दहला देने वाली आवाज क्यों आती है?

इससे पहले पाकिस्तान का एक लड़ाकू विमान बुधवार को जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा एवं नियंत्रण रेखा (LoC) के समीप दिखा. इसके बाद हवाई अलर्ट जारी किया गया था. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारतीय हवाई रक्षा प्रणाली ने पुंछ में पाकिस्तानी विमान को सीमा में 10 किलोमीटर अंदर तक देखा. एक अधिकारी ने कहा कि 27 फरवरी को नौशेरा सेक्टर में आए पाकिस्तानी लड़ाकू विमान को खदेड़कर उनकी सीमा में भेजा गया था. उसके बाद यह पहली घटना है जब पाकिस्तानी विमान पुंछ के नजदीक दिखा.

सुपर सोनिक बूम या सोनिक बूम किसी भी विमान या वस्तु द्वारा पैदा की जाती है जो ध्वनि की स्पीड (1238 km/h) से तेज चलती हैं. सुपर सोनिक का मतलब होता है ध्वनि से तेज. सोनिक बूम एक तरह की चौंका देने वाली तरंगें होती हैं. इस स्पीड में चलने वाले विमानों से इतनी तेज आवाज पैदा होती है कि जमीन पर बम विस्फोट या बादलों की गड़गड़ाहट जैसी आवाज आती है.

जब कोई विमान हवा में चलता है तो साउंड वेव यानी ध्वनि तरंगे पैदा करता है. जब विमान ध्वनि की गति से कम स्पीड से चलता है तो साउंड वेव विमान के आगे की ओर रहते हैं. लेकिन जब विमान साउंड बैरियर तोड़कर ध्वनि की स्पीड से भी ज्यादा तेज चलता है तो यह एक सोनिक बूम पैदा करता है. इसमें आपको विमान आने पर पहले कोई आवाज नहीं आती, लेकिन विमान के गुजरते ही तेज धमाके जैसा बूम होता है.

जब कोई विमान ध्वनि की गति से कम स्पीड से चलता है तो उसके द्वारा उत्पन्न प्रेशर डिस्टरबेंस या साउंड सभी दिशाओं में फैल जाती है. लेकिन सुपरसोनिक स्पीड में प्रेशर फील्ड एक खास इलाके तक सीमित होता है, जो अक्सर विमान के पिछले हिस्से में फैलती है और एक सीमित चौड़े कोन में आगे बढ़ती है जिसे मैक कोन कहा जाता है.

विमान के आगे बढ़ने के साथ ही पीछे की ओर कोन का पैराबोलिक किनारा पृथ्वी से टकराता है और एक जबर्दस्त धमाका या बूम पैदा करता है. जब इस तरह का विमान काफी लो अल्टीट्यूड में या नीचे उड़ता है, तो यह शॉक वेव इतनी ज्यादा तीव्रता का होता है कि इनसे खिड़कियों के शीशे तक टूट जाते हैं.

यह तीव्रता इस बात पर तो निर्भर करती ही है कि विमान धरती से कितनी ऊंचाई पर उड़ रहा है, साथ ही यह विमान के आकार और आकृति पर भी निर्भर करती है. इसके अलावा यह विमान के वायुमंडलीय दबाव, तापमान और हवा की गति पर भी निर्भर करता है. अगर कोई विमान बहुत लंबा है तो डबल सोनिक बूम पैदा होता है, एक आगे की तरफ से और दूसरा पिछले हिस्से से.

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