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सुप्रीम कोर्ट का है बड़ा आसरा, बीच मझदार में फंसी केजरीवाल की नैया

इतना ही नहीं इसके साथ-साथ दिल्ली का क्या स्टेट्स होगा, यह भी तय किया जाएगा। राजधानी दिल्ली केंद्र प्रशासित क्षेत्र होगा या पूूर्ण राज्य यह भी तय होगा। अब सुप्रीम कोर्ट एक नहीं दो मामलों की सुनवाई एक साथ करेगा। ये दोनों अहम सुनवाई दिल्ली और दिल्ली सरकार के सियासी रूख का भविष्य तय करेंगी। इसमें केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के अधिकारों की लक्ष्मण रेखा खींची जाएगी। उम्मीद है कि कोई बड़ी पीठ इस मामले की सुनवाई करेगा।06_08_2016-supremecourt

राजधानी दिल्ली केंद्र प्रशासित क्षेत्र या पूर्ण राज्य

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पहले से पूर्ण राज्य घोषित करने की याचिका दायर कर रखी। दिल्ली सरकार का दावा है कि एक निर्वाचित सरकार सीधे जनता के प्रति जवाबदेह है, न केंद्र सरकार या उसके प्रतिनिध उपराज्यपाल के प्रति। चूंकि दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार है, इसलिए उसे अन्य राज्यों की तरह प्रशासनिक कार्यों की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

कानून व्यवस्था भी राज्य की जिम्मेदारी होनी चाहिए। इस पर केंद्र लगातार दावा करता रहा है कि दिल्ली की वैधानिक स्थिति अन्य राज्यों की तरह नहीं है। राजधानी दिल्ली केंद्र प्रशासित क्षेत्र है। इसलिए इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है।

दरअसल, शुक्रवार को दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई थी। सुनवाई की यह तिथि पहले से तय थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की शुरुआत में जब यह कह दिया कि हम इस मामले की सुनवाई क्यों करें जब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली को यूनियन टेरिटरी बताया है। तब दिल्ली सरकार ने कहा हम उस पर स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) दायर करेंंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब अगर आप हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे तो आपकी सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

1- कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की दिल्ली सरकार की याचिका पर हम क्यों सुनवाई करें, जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दिल्ली को यूनियन टेरिटरी बताया है।

2- अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपके लिए यह सही होगा कि पहले आप दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दें। इस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि वह जल्द ही हाईकोर्ट के गुरुवार के फैसले के खिलाफ स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) दायर करेगी। कोर्ट चाहे तो इसे रिकॉर्ड पर ले सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि हम इस मामले में इस बात को रिकॉर्ड पर नहीं लेंगे, आपकी मर्जी है कि आप एसएलपी दायर करें या नहीं।

3- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले से दाखिल दिल्ली सरकार की सिविल केस की सुनवाई भी वह दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल होने वाली एसएलपी के साथ ही करेगी।

दिल्ली सरकार की दलील

– दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि वह गुरुवार के फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर करेंगी। तब कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की दोनों अर्जियों पर साथ में सुनवाई होगी। दिल्ली सरकार की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले एसएलपी दायर करनी होगी और तब हम देखेंगे कि हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया है, वह सही है या गलत। इंदिरा जय सिंह ने कहा कि तब पहले से दायर सिविल सूट की सुनवाई टाली जानी चाहिए। सरकार की ओर से जल्द ही एसएलपी दायर की जाएगी।

केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि एक ही बात के लिए दो रास्ते नहीं हो सकते। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 अगस्त की तारीख तय कर दी और कहा कि दोनों ही मामलों की सुनवाई अब साथ में होगी और चीफ जस्टिस यह तय करेंगे कि मामले की सुनवाई किस बेंच में होगी। इस बीच केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पिटिशन दाखिल की गई और कहा गया कि दिल्ली सरकार की ओर से जब भी मामले में एसएलपी दायर की जाए, तो हमारा पक्ष भी सुना जाए।

 

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