National News - राष्ट्रीयState News- राज्य

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पहल से 20 साल से अलग पति-पत्नी आए साथ

नई दिल्ली, प्रेट्र। 20 साल चली कानूनी लड़ाई में फंसे पति-पत्नी को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने वापस रिश्ते में बांधने की दिशा में बड़ी पहल की। आंध्र प्रदेश के इस जोड़े के बीच कानूनी लड़ाई 2001 में दहेज उत्पीड़न के मामले को लेकर शुरू हुई थी। पति को मिली एक साल के कारावास की सजा को बढ़वाने के लिए पत्नी शीर्ष न्यायालय में आई थी। लेकिन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने खुद मामले में रुचि लेते हुए वह स्थितियां बना दीं कि अलग रह रहे पति-पत्नी साथ रहने के लिए तैयार हो गए। कोर्ट ने उन्हें दो हफ्ते में इस आशय के शपथ पत्र देने के लिए कहा है।

पति की सजा बढ़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आई महिला की अर्जी पर बुधवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हो रही थी। इस दौरान महिला कोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी में अपनी बात कहने में सक्षम नहीं थी, इसलिए वह तेलुगु में अपनी बात कह रही थी। इस पर तेलुगु के जानकार मुख्य न्यायाधीश रमना ने महिला की मांग को समझते हुए उसके बारे में साथी जस्टिस सूर्यकांत को बताया। इसके बाद जस्टिस रमना ने महिला से कहा कि अगर उसका पति लंबे समय के लिए जेल चला गया तो वह अपनी नौकरी खो देगा। इससे उसे (महिला को) हर माह मिलने वाला गुजारा भत्ता भी नहीं मिल पाएगा।

मुख्य न्यायाधीश की बात को ध्यान से सुनकर महिला ने समझा और वह अपने इकलौते बेटे के साथ पति के साथ फिर से रहने के लिए तैयार हो गई। पति भी पुरानी बातों को भुलाते हुए साथ रहने के लिए तैयार हो गया। पति गुंटूर जिले में सरकारी सेवा में है। इस जोड़े की शादी 1998 में हुई थी। कुछ दिन बाद ही दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। 2001 में महिला ने दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया। मामले में पति को एक साल की सजा हुई, जिसे वह मुकदमा दर्ज होने के बाद काट चुका है। उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश में दहेज उत्पीड़न के मामले में पति-पत्नी के बीच समझौता संभव हैं।

Related Articles

Back to top button