शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि रणनीतिक और गोपनीय समझे जाने वाले दस्तावेजों को साझा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने फिर से यह स्पष्ट किया कि उसे राफेल सौदे से जुड़ी तकनीकी जानकारी नहीं चाहिए। उसने केन्द्र से अगले 10 दिन में भारत के ऑफसेट साझेदार की जानकारी सहित अन्य सूचनाएं मांगी हैं। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह भी कहा कि किसी भी जनहित याचिका में राफेल सौदे की उपयुक्तता या तकनीकी पहलुओं को चुनौती नहीं दी गई है।
वहीं, सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने न्यायालय को बताया कि लड़ाकू विमान की कीमत विशिष्ट सूचना है और उसे साझा नहीं किया जा सकता है।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने केंद्र से निर्णय लेने की प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी थी। बेंच ने सरकार से तकनीकी जानकारी और राफेल कीमतों के बिना रिपोर्ट मांगी थी। जिसके बाद सरकार ने 27 अक्तूबर को कोर्ट के सामने राफेल सौदे की निर्णय प्रक्रिया का पूरा विवरण प्रस्तुत किया।
इस सौदे का विरोध कर रही मुख्य विपक्षी पार्टी का कहना है कि सरकार 1670 करोड़ रुपये प्रति राफेल की दर से विमान खरीद रही है जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान इसकी कीमत 526 करोड़ रुपये तय हुई थी। वहीं इसपर अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने न्यायालय को बताया कि लड़ाकू विमान की कीमत विशिष्ट सूचना है और उसे साझा नहीं किया जा सकता है।