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सुप्रीम कोर्ट ने जैन समुदाय की संथारा प्रथा को दी मंजूरी

supreme_court_scba1नई दिल्ली: संथारा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए जैनों में सैकड़ों सालों से प्रचलित संथारा/सल्लेखना प्रथा को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को स्टे करते हुए राज्य सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया है।सुप्रीम के फैसले के बाद जैन समाज ने खुशी जताई है। धर्म बचाओ आंदोलन समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि राजस्‍थान हाईकोर्ट में जैन समाज की आस्‍था और धार्मिक मान्‍यता से जुड़ी संथारा प्रथा पर पक्ष बेहतरी से नहीं सुना गया। सुप्रीम कोर्ट ने 4 सप्‍ताह का समय दिया है इस दौरान सभी साक्ष्‍य प्रामाणिकता के साथ सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाएगेंउल्लेखनीय है हाईकोर्ट ने संथारा को आत्‍महत्‍या जैसा अपराध बताते हुए उसे भारतीय दंड संहिता 306 तथा 309 के तहत दंडनीय बताते हुए रोक लगा दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता धवल जीवन मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजस्‍थान हाईकोर्ट के फैसले को निरस्‍त करने की मांग की थी। मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जैन समाज मामले में धार्मिक मान्‍यताओं के लिहाज से हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी।जैन समाज में यह पुरानी प्रथा है कि जब व्यक्ति को लगता है कि वह मौत के करीब है तो खुद को कमरे में बंद कर खाना-पीना त्याग देता है। जैन शास्त्रों में इस तरह की मृत्यु को संथारा कहा जाता है।

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