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सुल्तानों को नहीं मिलती खुराक कैसे करे पहलवानी

सरकार के उपेक्षित रवैये की वजह से कई रेसलर दूसरे प्रदेशों में अपनी प्रतिभा को संवार रहे

ईएमएस बैतूल। मध्यप्रदेश में पहलवानो को न तो डाइट मिलती है औऱ न सुविधाएं। यही वजह है कि प्रदेश रेसलिंग के मामले में पिछडा हुआ है। सरकार के उपेक्षित रवैये की वजह से कई रेसलर दूसरे प्रदेशों में अपनी प्रतिभा को संवार रहे है। जब खेलो पर फिल्मे आती है तो खूब हल्ला मचता है लेकिन बाद में कुछ नहीं होता। ये पीड़ा प्रदेश के उन रेसलरों की है जो रेसलिंग में अपनी जाबांजी दिखाना चाहते है लेकिन सुविधाओं के टोटे से खुद को मजबूर पाते है।

दंगल और सुल्तान ने देश में रेसलिंग को लेकर माहौल खड़ा किया तो दंगल में उतरने वाले पहलवानो को हिम्मत बंधी थी की अब रेसलिंग के दिन बहुरेंगे लेकिन प्रदेश में हालात है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे। अब तो पहलवान भी मानने लगे है कि खेलो पर बनने वाली फिल्मों को देखने के बाद उठने वाला ज्वार सिर्फ दिखावा है। हिन्द और मध्यप्रदेश केसरी रहे देवेन्द्र कम से कम यही मानते है। ईएमएस से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि न तो यहाँ पहलवानो को डाइट का ठिकाना है ओर न नौकरियों में प्राथमिकता इसलिए प्रतिभाएं दम तोड़ रही है।
फिल्म सुलतान औऱ दंगल में आमिर और सलमान के साथ अपनी कुश्ती के जौहर दिखाने वाले राहुल पटेल बैतूल के रहने वाले है। फिलहाल राहुल हरियाणा में अपनी कुश्ती के जौहर दिखा रहे है। वे ओलम्पिक की तैयारी कर रहे है।

राहुल मानते है कि डाइट की कमी यहाँ पहलवानो के लिए बडी समस्या है। वही रेसलिंग को लेकर माहौल न होना भी एक समस्या है। रेसलिंग में जौहर दिखा रही लडकिया भी खुराक के टोटे से गुजर रही है।जो घर में मिलता है वही खाकर दंगल में उतरना पड़ता है। खंडवा की रुखसार अपनी पीढ़ियों की परंपरा को जिन्दा रखे हुए है।उसके दादा ,पिता भाई सब के सब रेसलर है। लेकिन उसका दर्द यही है कि रेसलिंग की एकेडमी खुले तो अपनी प्रतिभा को निखार सके। रुखसार ने ईएमएस से कहा कि उनके भाई कई नेशनल ,स्टेट कुश्ती दंगलों में जौहर दिखा चुके है।आज बेरोजगारी का सामना कर रहे है। बैतूल में आज आयोजित दंगल में चार प्रदेशो के 75 से ज्यादा पहलवानो ने अपनी पहलवानी के गुर दिखाये है।

आयोजन समिति के अध्यक्ष विवेक मालवीय ने बताया कि इस दंगल में मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र और हरियाणा के पहलवानो ने भाग लिया । उन्होंने कहा कि कुश्ती की परंपरा को जिन्दा रखने और पहलवानो को मंच प्रदान करने का सिलसिला लगातार चलता रहेगा।
बहरहाल रेसलिंग को लेकर बनी दो फिल्मो के बाद आम लोगो में कुश्ती को लेकर माहौल तो बना है लेकिन सरकारे इसे लेकर कब जागेगी बड़ा सवाल है।

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