सूखे ने बिगाड़ी माली हालत, 3 हजार करोड़ का कर्ज लेगी सरकार
हरीश दिवेकर, भोपाल। किसानों को राहत राशि देने के लिए सरकार के खजाने में पैसा नहीं है। अब सरकार पैसे जुटाने की जुगत में एक बार फिर बाजार से 3000 हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। इस संबंध में वित्त विभाग के अफसरों ने बुधवार देर रात आरबीआई के माध्यम से खुले बाजार से कर्ज लेने का प्रस्ताव तैयार किया।
उधर वित्त मंत्री जयंत मलैया ने दिल्ली जाकर केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात कर प्रदेश की माली हालत का हवाला देते हुए 4 प्रतिशत के ब्याज की दर से 5000 करोड़ का सॉफ्ट लोन की भी मांग की है। सरकार ने तीन हजार करोड़ के खर्चों पर रोक लगा दी है, जिसमें से 327 करोड़ सिर्फ जल निगम के कार्यों का है।
वित्त मंत्री ने केंद्र से फसल बीमा में 3000 करोड़ की राशि में 50 प्रतिशत राज्य का हिस्सा केन्द्र से देने का अनुरोध किया है। इसके अलावा नाबार्ड द्वारा पुनर्वित्त (रिफाइनेंस) को 60 से बढ़ाकर 80 प्रतिशत करने की मांग की है। हालांकि वित्त मंत्री के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने अब तक ठोस जवाब नहीं दिया है। उन्होंने इस मामले में परीक्षण करने की बात कही है।
आमदनी घटी, खर्च बढ़ा
उधर वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री को एक प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रदेश के खजाने की स्थिति बताई है। इसमें बताया गया कि प्रदेश में अनुमानित आय में कमी हो सकती है, वहीं खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि अपर मुख्य सचिव ने चेता दिया कि अब सरकार कोई बड़ी घोषणा करती है तो विषम परिस्थिति बन सकती है।
उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि पेट्रोल-डीजल के दरों में गिरावट सहित अन्य वाणिज्यिक कर से आय में 1000 करोड़ की कमी आ सकती है। वहीं एनजीटी के कारण खनिज नीलाम न होने से खनिज आय में भी 500 करोड़ की कमी आ सकती है। इसी प्रकार रियल एस्टेट व्यवसाय कमजोर होने से 300 करोड़ का फटका लग सकता है। हालांकि आबकारी महकमे से सरकार को लगभग 400 करोड़ का फायदा होने की संभावना है। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि वेतन-भत्तों का भार खजाने पर तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके साथ किराए के वाहन लेने का एक खर्च भी तेजी से बढ़ रहा है।
प्रति व्यक्ति बढ़ेगा कर्ज
यह पहला अवसर है कि बजट पारित होने के दो माह बाद से सरकार लगातार हर माह बाजार से कर्ज उठा रही है। जून 2015 से अब तक 6 हजार करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। अब इस माह फिर 3000 हजार करोड़ का कर्ज लेने की तैयारी की जा रही है। इसके चलते प्रति व्यक्ति पर 420 स्र्पए का कर्ज बढ़ना तय है। आज की स्थिति में मप्र का हर व्यक्ति 14980 स्र्पए के कर्ज में है। प्रदेश सरकार पर कुल 1,10863.64 लाख करोड़ का कर्ज है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने जून में 1000, जुलाई में 1500 और अगस्त में 1500 करोड़ और हाल ही में 11 और 23 सितंबर को एक एक हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है।
फंड जुटाने की कोशिश
प्रदेश के किसान परेशानी में है। सरकार उनके साथ खड़ी है। हम सारे खर्चे रोक कर किसानों के आंसू पोछने का प्रयास कर रहे हैं। मैंने वित्त विभाग को 3000 करोड़ स्र्पए की व्यवस्था करने को कहा है। इसके अलावा हमने केन्द्र से अन्य जरूरी मदद के साथ कम ब्याज पर 5 हजार करोड़ का कर्ज देने का आग्रह किया है। -जयंत मलैया, वित्त मंत्री