अद्धयात्म
सूर्यदेव लाए हैं ये श्रेष्ठ योग, जानिए आज के शुभ मुहूर्त
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ 24 जनवरी 2016 को रविवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: उत्तर, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु. मास: रवि उलसानी-13, ऋतु: शिशिर, मास: माघ, पक्ष: कृष्ण है।
शुभ तिथि
प्रतिपदा नंदा संज्ञक तिथि सम्पूर्ण दिवारात्रि रहेगी। कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में यथाआवश्यक समस्त शुभ व मांगलिक कार्य यथा-विवाह, पौष्टिक, अनुष्ठान, प्रतिष्ठा, जनेऊ, वास्तु-गृहारम्भ, प्रवेश, यात्रा व अलंकारादिक कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
प्रतिपदा तिथि में जन्मे जातक का स्वास्थ्य प्राय: ठीक नहीं रहता। इनकी दीर्घायु के लिए जन्म के समय पूजा-पाठ, अनुष्ठान करवा लेना श्रेष्ठ होता है। ये लोग मानसिक रूप से तनावग्रस्त व अस्थिरता लिए होते हैं। वैसे सुंदर, ऐश्वर्यवान, दक्ष, रूपवान, अलंकारप्रिय और कामासक्त होते हैं।
नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र रात्रि 8.44 तक, तदन्तर अश्लेषा नक्षत्र रहेगा। पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़कर शान्ति, पुष्टता, यात्रा, अलंकार, वास्तु-गृहारम्भ व प्रवेश आदि, चर-स्थिर-घरेलू उत्सव, सवारी, वाहन, विद्या व कृषि सम्बन्धी समस्त कार्य शुभ कहे गए हैं।
अश्लेषा नक्षत्र में उग्र, असद् कार्य, शत्रु मर्दन, व्यापार आदि के कार्य तथा अन्य साहसिक कार्य सिद्ध होते हैं। अश्लेषा गण्डांत मूल संज्ञक नक्षत्र भी है। अत: अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातकों के सम्भावित अरिष्ट निवारण के लिए आगे 27 दिन बाद जब इसी नक्षत्र की पुनरावृत्ति हो उस दिन नक्षत्र शांति करा देना जातकों के हित में होगा।
पुष्य नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: सुन्दर, भाग्यशाली, प्रसिद्ध, शूरवीर, कृपालु, धार्मिक, धनवान, कलाओं का ज्ञाता व सत्य में लीन रहने वाला होता है। इनका भाग्योदय कुछ विलम्ब से लगभग 35 वर्ष की आयु तक होता है।
योग
प्रीति नामक नैसर्गिक शुभ योग रात्रि 8.46 तक, तदुपरांत आयुष्मान नामक नैसर्गिक शुभ योग रहेगा।
विशिष्ट योग
सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग व रवि पुष्य नामक योग सूर्योदय से रात्रि 8.44 तक। रवि पुष्य योग में तंत्र-मंत्र सिद्धि एवं जड़ी-बूटी आदि का संग्रह करना सिद्धिदायक होता है।
करण
बालव नामकरण सायं 7.22 तक, इसके बाद कौलवादिकरण रहेंगे।
चंद्रमा
संपूर्ण दिवारात्रि कर्क राशि में रहेगा।
परिवर्तन
सूर्यदेव रात्रि 9.15 पर श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करेगा।
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, नक्षत्र, वार व योगानुसार रविवार को पुष्य नक्षत्र में विपणि-व्यापारारम्भ, वाहन क्रय करना, उपनयन (तिथि त्याज्य), गृहारम्भ, अशुद्ध (वार त्याज्य), गृह-प्रवेश अशुद्ध (वार त्याज्य) आदि के शुभ मुहर्त है।
वारकृत्य कार्य
रविवार को सामान्यत: राज्याभिषेक, उत्सव (गाना-बजाना), नई सवारी पर चढ़ना, यात्रा, नौकरी, पशु क्रय-विक्रय, अग्नि सम्बन्धी कर्म (हवन, यज्ञादि), मंत्रोपदेश, औषधि निर्माण व सेवन, अस्त्र-शस्त्र व्यवहार, सोना-ताम्बा, ऊन-काष्ठ सम्बन्धी कार्य, व्यापार और न्याय से संबंधित कार्य शुभ कहे गए हैं।
दिशाशूल
रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अतिआवश्यकता में कुछ घी खाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चंद्र स्थिति के अनुसार रविवार को उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।