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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट : हाईकोर्ट के निर्माण रोकने से इनकार करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना को रोकने से इनकार करने के बाद याचिकाकर्ताओं ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में न केवल याचिका को खारिज किया था, बल्कि याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
अब याचिकाकर्ता अनुवादक अन्या मल्होत्रा और इतिहासकार व वृत्तचित्र फिल्म निमार्ता सोहेल हाशमी ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने दावा किया है कि हाईकोर्ट ने बिना किसी कारण के उनके वास्तविक इरादों को गलत तरीके से समझने के अलावा याचिका को बिना किसी जांच के महज फेस वैल्यू के आधार पर खारिज कर दिया है।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में कहा कि कि उनकी याचिका पूरी तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित थी, क्योंकि कोविड की भयावह दूसरी लहर ने दिल्ली शहर को तबाह कर दिया था और यहां की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर हमला मान लिया।

याचिका में यह दलील भी दी गई है कि चल रही निर्माण गतिविधि में सुपर स्प्रेडर (तेजी से संक्रमण) की संभावना है और शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले श्रमिकों के साइट से उनके आवास तक आने-जाने के कारण श्रमिकों और दिल्ली के निवासियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर जोखिम है। वकील नितिन सलूजा के माध्यम से दायर याचिका में यह दलील भी दी गई है कि हाईकोर्ट ने गलत निष्कर्ष निकाला है कि याचिकाकर्ताओं ने विशेष तौर पर केवल एक परियोजना को चुना है। जबकि इस बात पर गौर नहीं किया कि याचिका में उन परियोजनाओं के मामलों में भी स्वत: संज्ञान लेने की गुहार लगाई गई थी, जो कोविड प्रोटोकॉल या दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आदेशों का उल्लंघन कर रही हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट ने गलत तरीके से और बिना किसी औचित्य या आधार के याचिका को गलत इरादे से प्रेरित और वास्तविकता की कमी के रूप में माना और याचिकाकतार्ओं पर जुर्माना लगाया। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वास्तविक इरादे को गलत तरीके से ले लिया। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि सेंट्रल विस्टा परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है और इसे नवंबर 2021 तक समयबद्ध कार्यक्रम के भीतर पूरा किया जाना है। अदालत ने कहा कि जनता इस परियोजना में व्यापक रूप से रुचि रखती है, जिसमें एक नया त्रिकोणीय संसद भवन शामिल है।

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