सेंसेक्स निफ्टी में गिरावट, स्मॉलकैप में मामूली तेजी
मुंबई (एजेंसी)। देश के शेयर बाजारों में गत सप्ताह गिरावट देखी गई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब आधे फीसदी की गिरावट रही हालांकि बीएसई के स्मॉलकैप सूचकांक में मामूली तेजी रही। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 3० शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह ०.45 फीसदी या 92.84 अंकों की गिरावट के साथ शुक्रवार को 2० 758.49 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 5० शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी इसी अवधि में ०.64 फीसदी या 39.7 अंकों की गिरावट के साथ 6 171.45 पर बंद हुआ। गत सप्ताह सेंसेक्स के 3० में से 12 शेयरों में तेजी रही। सन फार्मा (5.13 फीसदी) डॉ. रेड्डीज लैब (5.13 फीसदी) कोल इंडिया (3.94 फीसदी) ओएनजीसी (2.9० फीसदी) और टीसीएस (2.69 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे एक्सिस बैंक (7.62 फीसदी) हिंडाल्को इंडस्ट्रीज (6.91 फीसदी) टाटा स्टील (6.86 फीसदी) एसबीआई (6.25 फीसदी) और एलएंडटी (5.56 फीसदी)। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों का प्रदर्शन गत सप्ताह मिला जुला रहा। मिडकैप 1.17 फीसदी या 77.96 अंकों की गिरावट के साथ शुक्रवार को 6 581.22 पर बंद हुआ। स्मॉलकैप हालांकि ०.26 फीसदी या 16.79 अंकों की तेजी के साथ 6 569.79 पर बंद हुआ। गत सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में मार्किट इकनॉमिक्स ने सोमवार छह जनवरी 2०14 को कहा कि दिसंबर 2०13 में भी देश के निजी क्षेत्र की आर्थिक स्थिति खराब हुई। एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स की रीडिंग लगातार छठे महीने 5० से नीचे रही। सूचकांक नवंबर के 48.5 से नीचे गिरकर 48.1 पर आ गया। सूचकांक के 5० से नीचे रहने का मतलब आर्थिक प्रदर्शन में गिरावट है। शुक्रवार को जारी आंकड़े के मुताबिक दिसंबर में व्यापार घाटे में वृद्धि दर्ज की गई। दिसंबर का व्यापार घाटा 1०.14 अरब डॉलर रहा जो नवंबर में 9.22 अरब डॉलर था। अमेरिका में फेडरल ओपेन मार्केट कमीटी के बुधवार को जारी ब्यौरे के मुताबिक अधिकतर अधिकारियों ने कहा कि फेडरल रिजर्व द्वारा हर माह बांड खरीदारी कार्यक्रम का असर धीरे धीरे घटता जाएगा और जब इसे कम करने की कोशिश की जाएगी तो इसका नकारात्मक असर होगा। ब्यौरे में बांड खरीदारी कार्यक्रम में कटौती की कोई स्पष्ट योजना पेश नहीं की गई। फेड ने 18 दिसंबर को हुई बैठक में बांड खरीदारी कार्यक्रम को जनवरी 2०14 से प्रति माह 85 अरब डॉलर से घटाकर 75 अरब डॉलर करने का फैसला किया है।