सेंसेक्स लगातार दे रहा मोदी सरकार की नीतियों को FIRST DIVISION
पहली बार जब मार्च 2015 में सेंसेक्स ने 30,000 का आंकड़ा पार किया तो उसे मोदी सरकार की तब तक घोषित की जा चुकी नीतियों का समर्थन माना गया. एक बार फिर संसेक्स 26 अप्रैल को 30,000 के जादुई आंकड़े को पार कर गया और 28 अगस्त तक अपने रिकॉर्ड पर कायम रहा. बाजार के जानकारों का मानना है कि सेंसेक्स की यह छलांग मोदी सरकार के अबतक के कार्यकाल की नीतियों पर देशी-विदेशी निवेशकों द्वारा मिल रहे ठोस समर्थन का नतीजा है.
गौरतलब है कि भारतीय शेयर बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ को दर्शाने के लिए कोई वास्तविक सूचक नहीं होता. लेकिन माना जाता है कि शेयर बाजार में अहम चढ़ाव देश की सरकार के पक्ष में जा रहे देशी-विदेशी निवेशकों के सेंटीमेंट को निर्धारित करता है. रिकॉर्ड स्तर पर बाजार की चाल से साफ संकेत मिलता है कि निवेशकों को मोदी सरकार की नीतियों में पूरा विश्वास है और वह आने वाले दिनों में इससे बड़े स्तर को छूने के लिए तैयार है.
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आज बाजार बंद
सोमवार सुबह ग्लोबल संकेतों के चलते एशियाई शेयर बाजार में लाल निशान के साथ कारोबार की शुरूआत हुई.
रिकॉर्ड का दिन
दिन बुधवार और तारीख 26 अप्रैल 2017. इस दिन दिल्ली में एमसीडी चुनावों के नतीजे आए और बीजेपी को दो-तिहाई बहुमत मिला. इसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा और बीते तान साल से बीजेपी के हाथ लगातार लग रही चुनावी जीतों से देश में बढ़ती राजनीतिक स्थिरता ने निवेशकों के लिए माहौल को बदल दिया. इस दिन शेयर बाजार ने मजबूत घरेलू और ग्लोबल संकेतों के चलते सेंसेक्स ने 30,000 के जादुई स्तर को पार कर लिया था.
30 कंपनियों के शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 30,000 के स्तर को 28 अप्रैल तक बरकरार नहीं रखा पाया और 111.34 अंक यानी 0.37 प्रतिशत गिरकर शुक्रवार को 29,918.40 अंक पर बंद हुआ था. वहीं 50 कंपनियों के शेयरों वाला महत्वपूर्ण निफ्टी सूचकांक 38.10 अंक यानी 0.41 प्रतिशत गिरकर 9,304.05 अंक पर बंद हुआ था. दोनों सूचकांकों के लिए बीता सप्ताह रिकॉर्ड बनाने वाला रहा जिन्होंने अपने अब तक के अपने उच्च स्तर को प्राप्त किया. पूरे हफ्ते के दौरान सेंसेक्स में 553.10 अंक यानी 1.88 प्रतिशत और निफ्टी में 184.65 अंक यानी 2.02 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.