सेना पर पत्थर फेंकने वाली लड़की बोली-अब्बा कसम..अब कभी पत्थरबाजी नहीं करूंगी
कश्मीर के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। कश्मीर में इस वक्त जो हालात हैं उसके लिए वहां के पत्थरबाज जवान और उनको उकसान वाले अलगाववादी जिम्मेदार हैं। इसी बीच खबर मिली है कि पिछले सप्ताह छात्रों के साथ प्रदर्शन कर रही 17 साल की इकरा को पत्थरबाजी के दौरान लगी चोट के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
लड़की का कहना है कि पिछले सप्ताह पुलवावा में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में वह और उसके दर्जनों साथी घायल हो गए। इस लड़की का कहना है कि हम लोगों ने बुधवार को शांति पूर्ण प्रदर्शन किया और इसी दौरान भी पत्थर लग गया। वो पत्थर उसके साथियों का ही था। अब लड़की ने अपने अब्बा की कसम खाई है और कहा है कि कभी पत्थरबाजी नहीं करूंगी। पिछले कई महिनों से चल रहे हिंसक प्रदर्शनों की तरह ही बुधवार को भी पुलवामा में हिंसक प्रदर्शन हुए। 17 वर्षीय इकरा अभी अस्पताल के बिस्तर पर है और उसके सिर में फ्रैक्चर है, उसके सिर पर पट्टियां हैं। पत्थरबाजी में घायल होने के बाद शायद इकरा को समझ आ गया है कि वो गलत कर रही थी।
जम्मू कश्मीर में पत्थरबाज सेना का सिरदर्द बन गए हैं। इनमें भी पत्थरबाज लड़कियां बड़ी मुसीबत हैं। सेना न इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है न ही ये लोग सेना की अपील मानती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सेना जब इन लड़कियों को पत्थर मा’रते हुए पकड़ती है तो इनके साथ क्या करती है। चलिए हम आपको वो सच बताते हैं जो आपको नहीं पता होगा।
एक बार फिर सुर्खियों में हैं पत्थरबाज : जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को सेना की कार्रवाई के बाद एक बार फिर पत्थरबाज राजनीति में चर्चा पर हैं। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने सेना की कार्रवाई का विरोध किया है। हालांकि सेना अपने इस कदम को सही ठहरा रही है। पहले दिखते थे लड़के, अब दिखती हैं लड़कियां भी : कश्मीर में सेना पर पत्थर चला’ते हुए कुछ समय पहले बस लड़के दिखा करते थे। इस कुछ समय से बदलाव आया है और लड़कियों ने भी पत्थरबाजी शुरू कर दी है। खासकर ये लड़कियां स्कूल और कॉलेज जाने वाली होती हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई में भी सेना झिझकती है।
अब जानें सेना इनको पकड़कर क्या करती है : भारतीय सेना जब इन पत्थरबाज लड़कियों को पकड़ती है तो उनके साथ सख्ती नहीं करती है बल्कि इनके परिवार को बुलाया जाता है। उनके सामने ही लड़कियों की काउंसलिंग की जाती है औऱ इनको पढ़ लिखकर आगे बढ़ने की सलाह दी जाती है। इसके बाद इनको परिवार को सौंप दिया जाता है। बुधवार को फरजाना नाम की एक लड़की जो 12वीं की छात्र है उसको जवानों ने पकड़ा। उसको कैंप में ले जाकर उसके मां- बाप को बुलाया गया और सख्त वॉर्निंग देकर लड़की को ले जाने के लिए कहा।तो दोस्तों आज भी भारत की सेना में स्त्री पर हाथ ना उठाने की रीत चलती आ रही है। आपका क्या कहना है सेना उन्हें परिवार वालों को सौंपकर ठीक करती है या लड़कों की तरह उनको भी थ’र्ड डिग्री देनी चाहिए। आर्टिकल अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।