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सेबी ने छोटी कंपनियों के लिए डिलिस्टिंग मानकों में दी ढील

sebi_new_22_04_2016नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने छोटी कंपनियों के लिए डिलिस्टिंग मानकों में थोड़ी ढील दे दी है। प्रमोटर 90 फीसद शेयरधारकों की लिखित सहमति से अपनी कंपनी को डिलिस्ट करा सकेंगे। नियामक ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के स्पष्टीकरण में कहा गया है कि छोटी कंपनियों के मामले में 90 फीसद शेयरधारकों की लिखित सहमति से ही डिलिस्टिंग (सूचीबद्धता से अलग होने) की शर्त का अनुपालन हो जाएगा। स्वैच्छिक डिलिस्टिंग के मामले में उन छोटी कंपनियों को रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया अपनाने की जरूरत नहीं होगी, जिनकी चुकता पूंजी 10 करोड़ और नेटवर्थ 25 करोड़ रुपये से कम है।

मानकों में ढील का लाभ सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा जिनके इक्विटी शेयरों में एक साल के दौरान किसी स्टॉक एक्सचेंज में कभी-कभार ही ट्रेडिंग हुई हो। इसके साथ ही यह शर्त भी लगाई गई है कि बीते एक साल में नियमों का पालन नहीं करने की वजह से एक्सचेंज ने कंपनी के शेयरों में कारोबार को निलंबित नहीं किया हो।

ये है प्रक्रिया

सेबी के नियमों के मुताबिक, ऐसे मामलों में प्रमोटर मर्चेंट बैंकर की सलाह से कंपनी के शेयर की एक्जिट प्राइस तय करता है। इसके बाद आम शेयरधारकों को सूचना दी जाती है। शेयरधारकों की सहमति मिल जाने पर प्रमोटर उन्हें पैसे का भुगतान करके कंपनी से एक्जिट करा सकता है।

 
 

 

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