सेमीफाइनल में पहुंचीं पीवी सिंधु, पिता बोले- बेटी के लिए बैडमिंटन ही सब कुछ
नई दिल्ली: बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु रियो ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंच गई हैं और उन्होंने भारत के लिए मेडल जीतने की उम्मीद को बरकरार रखा है. मंगलवार को सिंधु ने वर्ल्ड के दूसरे नंबर के खिलाड़ी वांग यिहान को 22-20, 21-19 सेट से हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की की.
सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद पीवी सिंधु के पिता पीवी रमन्ना से एनडीटीवी ने बात की. बेटी के प्रदर्शन से रमन्ना काफी खुश हैं. मैच खेलने से पहले सिंधु ने अपने परिवार से बात की और उनका आशीर्वाद लिया. फिर मैच जीतने के बात सिंधु अपने माता-पिता से बात करते हुए काफी खुश नज़र आईं और उनके पिता ने उन्हें आगे अच्छा खेलने और मेडल जीतने के लिए सलाह दी.
सिंधु के पिताजी का कहना है बेटी ने 7-8 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और बैडमिंटन ही उनकी ज़िंदगी में सब कुछ था. सिंधु के माता-पिता पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को कभी वॉलीबॉल खेलने के लिए मजबूर नहीं किया. रमन्ना का कहना है कि वे बैडमिंटन के प्रति सिंधु की रुचि देखते हुए उसे ट्रेनिंग के लिए घर से 30 किलोमीटर दूर गाचीबौली ले जाते थे. ट्रेनिंग रोज़ सुबह और शाम को होती थी और रोज लगभग 120 किलोमीटर सफर करना पड़ता था.
चार पांच साल तक ऐसा करना पड़ा फिर आखिरकार रमन्ना खुद गाचीबौली शिफ्ट हो गए. अब रमन्ना को 30 किलोमीटर सफर करके अपना ऑफिस जाना पड़ता है. जब सिंधु के पिताजी रमन्ना से यह सवाल पूछा गया कि क्या बैडमिंटन की वजह से सिंधु की पढ़ाई में कोई नुकसान हुआ तो रमन्ना का कहना है कि सिंधु एक अच्छी छात्रा भी हैं और फर्स्ट क्लास में बी-कॉम पास किया है और अब एमबीए करनी चाहती हैंं. रमन्ना ने यह भी बताया की सिंधु बैडमिंटन के लिए अपनी बहन का शादी में भी शामिल नहीं हो पाई थींं.
पीवी रमन्ना ने सिंधु की इस जीत का श्रेय उनके कोच गोपीचंद को दिया है. रमन्ना का कहना है कि गोपीचंद की वजह से आज सिंधु यहां तक पहुंची है. अगर गोपीचंद नहीं होते तो सिंधु यहां नहीं पहुंच पाती. रमन्ना का कहना है कि गोपीचंद हमेशा सिंधु को ज्यादा से ज्यादा खेल के लिए सलाह देते थे. सिंधु थक जाती थी, लेकिन फिर भी गोपीचंद और एक-दो राउंड खेलने के लिए कहते थे. रमन्ना का कहना 9 साल से सिंधु गोपीचंद से कोचिंग ले रही हैंं.
आपको बता दें कि शानदार खेल की वजह से सिंधु को 18 साल की उम्र में अर्जुन अवार्ड मिला जबकि उनके पिता पीवी रमन्ना को 39 साल के उम्र में अर्जुन अवार्ड मिला था. यह बहुत कम बार देखा गया है कि जब एक ही परिवार के दो सदस्यों को अलग-अलग खेल के लिए अर्जुन अवार्ड मिला हो. बैडमिंटन खेलने से पहले सिंधु एक डॉक्टर बनना चाहती थींं, लेकिन जब उसने देखा कि डॉक्टर बनने के लिए बहुत ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है तब बैडमिंटन रैकेट ही पकड़ लिया. सिंधु ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वह सबसे ज्यादा तेलुगू मूवी देखना पसंद करती हैंं.