सेल्फी के दीवानों बड़ी खबर, अभी पढ़ ले वरना बाद में बहुत पछतायेंगे आप
हर दिन एडवांस होती मोबाइल टेक्नोलॉजी ने स्मार्टफ़ोन्स की दुनिया मे क्रांति ला दी है. हर दिन नए नए फीचर लाने वाले स्मार्टफ़ोन बाज़ारो में लांच किए जा रहे है. लोगों में अच्छे से अच्छे स्मार्टफ़ोन्स खरीदने की होड़ लगी हुई है. इसकी सबसे बड़ी वजह स्मार्टफ़ोन में हाई क़्वालिटी कैमरे का होना है.
स्मार्टफ़ोन में इन दिनों फ्रंट और बैक कैमरे के चलते लोगो मे सेल्फी का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है. मोबाइल के फ्रंट कैमरे से खुद की तस्वीर खींचना इतना आसान हो गया है कि लोग पहले जैसे फ़ोटो क्लिक करने के लिए दूसरों का सहारा नहीं लेते.
वो ख़ुद ही अपने महंगे स्मार्टफ़ोन के फ्रंट कैमरे से अपनी तस्वीरे लेना ज्यादा पसंद करते है. जिसे सेल्फी कहते हैं. इन दिनों युवाओ में सेल्फी लेने का क्रेज़ इस कदर बढ़ गया है कि पब्लिक गैदरिंग हो या कोई प्राइवेट ओकेशन हर कोई एक दूसरे के साथ सेल्फी लेते नज़र आता है. सेल्फी के प्रति लोगो की बढ़ती दीवानगी ने कई मानसिक और शारिरिक बीमारियो को जन्म दिया है जिसमे ‘सेल्फी एल्बो’ सबसे अनोखा और नया एडिशन है.
क्या है सेल्फी एल्बो- ‘टेनिस एल्बो’ और ‘ गोल्फर एल्बो’ का नाम तो अपने पहले सुना ही होगा पर अब ‘सेल्फी एल्बो’ के लिए भी तैयार हो जाइए. बार-बार अपने मोबाइल से सेल्फी लेने के क्रम में हम यह भूल जाते हैं कि हमारे हाथ और खासतौर पर कोहनी पर इससे जोर पड़ता है. और अगर हम सेल्फी लेने का सिलसिला लंबे समय तक जारी रखते है तो कुछ समय बाद हमारी कोहनी में दर्द शुरू हो जाता है जिसे सेल्फी एल्बो का नाम दिया गया है.
दरअसल सेल्फी लेने के लिए हमे मोबाइल या सेल्फी स्टिक पकड़ कर अपने हाथ को ऊपर उठना पड़ता है जिससे हमारी कोहनी अपने आप मूड़ जाती है. और लंबे समय के लिए इसी पोजीशन में बने रहने से हमारी कोहनी के मसल में स्प्रेन या खिंचाव महसूस होने लगता है. और ये खिंचाव धीरे-धीरे मसल इंजरी में तब्दील हो जाता है. जिससे कोहनी में लगातार दर्द बना रहता है, दर्द के साथ साथ सूजन भी हो जाती है और सूजन के कम होने के बाद वह निशान बन जाता है.
सेल्फी एल्बो के बाद हमारे कोहनी के मसल की फ्लेक्सिबिलिटी धीरे-धीरे कम होने लगती है और अक्सर लोग इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, और सेल्फी लेने का सिलसिला जारी रखते है. इसके चलते यह समस्या गंभीर रूप अख़्तियार कर लेती है और हमारी कोहनी के हर मूवमेंट पर दर्द बढ़ता ही जाता है.
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यही बाद में एल्बो इंजरी का कारण बनता है जिसमे हमारे हाथ का मूवमेंट कम होते-होते लगभग बन्द हो सकते हैं. समय रहते डॉक्टरी मदद नही ली तो ये समस्या ताउम्र आपको सता सकती है. भारत मे अभी इस तरह के मामले सामने नही आये हैं पर इसकी एक वजह लोगो मे जागरुकता का अभाव भी हो सकता है. ज्यादातर लोगों को पता ही नही चलता के उनके हाथ मे होने वाले दर्द का कनेक्शन उनकी सेल्फी की लत के चलते भी हो सकता है.
सेल्फाइटिस बीमारी- मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के मेन्टल हेल्थ एंड बिहेवियर साइन्स के डायरेक्टर डॉक्टर समीर मल्होत्रा का कहना है, ‘यह एक तरीके की लत है, बार-बार सेल्फी लेना, अलग-अलग पोजीशन में पोज़ करना एक तरीके का सेल्फ ऑब्सेसिव डिसऑर्डर है जिसे आज कल “सेल्फाइटिस’ कहा जाता है. यह एक तरीके की मेन्टल इलनेस है जिसमे व्यक्ति खुद में इतना खो जाता है कि उसे घर परिवार की सुध नहीं होती.
ऐसे व्यक्ति या युवा खुद में किसी अभाव के बोध से ग्रसित होते है. और एक काल्पनिक दुनिया मे खो जाते है जहां उनकी फ़िल्टर की गई सेल्फीज़ को हज़ारों लाइक्स मिलते है’. सेल्फाइटिस से ग्रसित व्यक्ति obsessive complusion disorder यानी ocd का शिकार होते हैं. और उनका सारा समय सिर्फ खुद को निहारने और सेल्फी और उसे अपडेट या अपलोड करने में बीत जाता है.
लक्षण:
– सेल्फाइटिस के पीड़ित व्यक्ति या युवा दिन में कई बार मोबाइल फ़ोन से सेल्फी लेते दिखेंगे.
– ऐसे युवा हर मौके को अपने फ़ोन में कैद करने में व्यस्त रहते हैं.
– ऐसे युवाओं के वास्तविक दोस्तों से ज्यादा सोशल मीडिया में फ्रेंड्स होते हैं.
– सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय ऑनलाइन रह कर फोटोज अपलोड करते हैं और दूसरों के लाइक्स और प्रशंसा के भूखे होते हैं.
– ऐसे युवाओं का पारिवारिक रिश्ता प्रभावित होता है, और इनकी सोशल लाइफ ना के बराबर होती है.
-तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अपनों से हर वक़्त नाराज़ रहना और अकेले रहने पर जोर देना सबसे महत्वपूर्ण लक्षण हैं.
बार-बार सेल्फी लेने से और भी बहुत सी परेशानियां हो सकती हैं, इसमें फेसिअल स्किन का मोबाइल की फ्लश लाइट के ज्यादा एक्सपोज़र से ड्राई होना और समय से पहले चेहरे पर झुर्रियों का आना भी शामिल है.