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सेहत की जांच कराने बीमार बच्चों को 10 किमी पैदल चलना पड़ा

jashpur_nagar_news_cg_cg_201696_10046_06_09_2016जशपुरनगर, नईदुनिया न्यूज। डारमेटरी छात्रावास के 15 बच्चों को अपने स्वास्थ्य की जांच कराने के लिए 10 किलोमीटर पदयात्रा करनी पड़ी। पैदल चलकर अस्पताल पहुंचने वाले कुछ बच्चे सर्दी, खासी और बुखार से पीड़ित थे। छात्रावास अधीक्षक का कहना है कि उन्होंने छात्रावास के बच्चों के बीमार होने और अस्पताल तक ले जाने में होने वाली दिक्कतों की लिखित जानकारी बीएमओ को दे दी थी, लेकिन स्वास्थ्य परीक्षण के लिए न तो डॉक्टर पहुंचा और न ही बच्चों के आने जाने के लिए वाहन की व्यवस्था की गई।

जबकि इस छात्रावास में दो दिन पहले बीमारी होने के कारण चौथी क्लास के एक छात्र की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी न तो स्वास्थ्य विभाग जागा और न जिला प्रशासन के अधिकारी बीमार बच्चों के इलाज के लिए गंभीरता दिखा रहे हैं।

मामला जिला मुख्यालय जशपुर से पांच किलोमीटर दूर ग्राम लुईकोना स्थित डारमेटरी छात्रावास की है। यहां के अधीक्षक सत्यम सिंह नायक ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से बच्चे सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत कर रहे हैं। इस पर उन्होंने 23 अगस्त को लोदाम के बीएमओ को पत्र लिखकर छात्रावास से जिला चिकित्सालय के सात किलोमीटर दूर होने की जानकारी देते हुए छात्रावास में स्वास्थ्य परीक्षण के लिए डॉक्टर भेजने या जिला चिकित्सालय तक वाहन की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की थी। लेकिन यहां कोई नहीं आया।

इस बीच एक सितम्बर को यहां रहकर कक्षा चौथी की पढ़ाई कर रहे जितेश नायक पिता कुलदीप नायक की तबियत बिगड़ गई। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया पिᆬर यहां से उसे रांची रेफर कर दिया गया । रांची ले जाने के दौरान ही जितेश ने दम तोड़ दिया । इसके बाद भी न तो स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी और न ही शिक्षा विभाग और छात्रावास से जुड़े अधिकारियों की।

कोई व्यवस्था नहीं होने पर कक्षा पहली से आठवीं के 15 छात्रों को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए लुईकोना से जिला अस्पताल तक 5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ी। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद हाथों में दवाई लेकर बीमारी से जुझ रहे ये बच्चे इतनी ही दूरी तय कर वापस छात्रावास पहुंचे। अधीक्षक ने कुछ छोटे बच्चों को स्वयं अपनी बाइक से अस्पताल पहुंचाया और वापस छात्रावास तक लाए। बहरहाल छात्रावास में बच्चे अब अभी बीमारियों से जुझ रहे हैं, लेकिन इनके इलाज के लिए प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया गया है।

विशेष योजना के तहत संचालन

डारमेटरी छात्रावास का संचालन शासन की विशेष योजना के तहत किया जा रहा है। यहां रोजगार के लिए पलायन करने वाले गरीब परिवारों के बच्चों को रखकर पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। जिले में चार डारमेटरी छात्रावास जशपुर ब्लाक के लुईकेना, पत्थलगांव के नवापारा, कांसाबेल के नकबार और फरसाबहार के कोल्हेनझरिया में संचालित है। छात्रावास पिछले तीन-चार वर्षो से आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा बजट आबंटित नहीं करने की वजह से यहां के छात्रों की भोजन व्यवस्था उधार पर से चल रही है। स्वीपर, रसोईया और चपरासी को पिछले सात माह से वेतन नहीं मिला है।

‘जिले के सभी छात्रावासों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। सभी टीएल मीटिंग में कलेक्टर इसकी समीक्षा करते है। बच्चों को अस्पताल तक ले कर आने की जरूरत ही नहीं थी। संबंधित अधिकारी द्वारा सूचना दिए जाने पर मेडिकल टीम छात्रावास पहुंच जाती है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से चूक नहीं हुई है।’ – बीबी बोर्डे, सीएमएचओ, जशपुर

 

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