20वें उत्तराखण्ड राज्य स्थापना सप्ताह के तहत देहरादून में आयोजित सैन्य सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भावुक हो गए। मुख्यमंत्री उस समय भावुक हो गए जब उन्होंने एक शहीद सैनिक की पत्नी के गुमसुम हो जाने का जिक्र किया। उन्होंने संस्मरण साझा करते हुए कहा कि ‘2011 में उनके गांव में एक शहीद की पत्नी के गुमसुम हो जाने की सूचना मिली। मैं वहां गया। मैंने उस बेटी को काफी झिंझोड़ने की कोशिश की, ताकि उसकी खामोशी टूटे।
काफी प्रयास किए और जब वह बोली तो उसकी बात सुनकर सैनिक परिवार क्या होता है, उसके गौरव की अनुभूति हुई। शहीद की पत्नी ने कहा कि पति ने बॉर्डर पर जाते समय कहा था कि अगर मैं शहीद हो गया तो आंखों से आंसू मत गिराना।’ यह बात याद कर मुख्यमंत्री भावुक हो गया। और उनकी यह बात सुन कार्यक्रम में मौजूद लोग भी भावुक हो गए।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने कहा जिस राज्य में सैनिकों का सम्मान नहीं होता, उस राज्य में किसी का सम्मान नहीं होता। प्रदेश सरकार ने वीर नारियों, पूर्व सैनिकों के लिए हर तरह की सुविधा जुटाने का प्रण किया है। सैनिकों की समस्यों के समाधान के लिए शासन व प्रशासन में नोडल अधिकारी तैनात किए हैं।
सेना की बदौलत कश्मीर में अब 370 हटने के बाद लोग खुली हवा में सांस ले रहे हैं। सरकार सैन्य परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए शहीद सैनिकों के आश्रितों व वीर नारियों और पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवा में योगदान देने का मौका दे रही है। पांचवें धाम सैनिक धाम की स्थापना के लिए देहरादून में 60 बीघा भूमि का बंदोबस्त हो गया है।