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सोनिया को नरसिम्हा पर नहीं था भरोसा, पूछा था-‘क्या मुझे जेल भेजना चाहते हैं राव’

sonai-narshimhaनई दिल्ली। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मारग्रेट अल्वा ने कहा है कि राजीव गांधी से जुड़े बोफोर्स मामले को खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार के अपील करने के फैसले ने राव को लेकर सोनिया गांधी के मन में संदेह बढ़ा दिया था जिससे दोनों के बीच दूरियां बढ़ी।अपने राजनीतिक सफर को कलमबद्ध करने वाली किताब ‘‘करेज एंड कमिटमेंट’’ के विमोचन के पहले अल्वा ने कहा कि फैसले के बाद आग बबूला सोनिया ने उनसे पूछा कि क्या राव उन्हें जेल भेजना चाहते हैं। कांग्रेस में विभिन्न पदों पर रह चुकीं अल्वा को कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी टिकट ‘बेचे’ जाने के आरोपों के बाद उन्हें 2008 में इस्तीफा देने के लिए कहा गया। उनके आरोपों को पार्टी में ‘‘केंद्रीकृत फैसला लेने’’ के कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना समझा गया। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री रहे सीपीएन सिंह और अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे में नाम आए मध्यस्थ क्रिस्टियन मिशेल के पिता वोल्फगेंग मिशेल के साथ संबंधों पर भी कहा। अल्वा ने 1980 में दक्षिण अफ्रीका को टैंकों की आपूर्ति के बारे में कहा है तथा उस समय लंदन में रहने वाले वोल्फगेंग मिशेल किस तरह प्रभावशाली थे और शायद संजय गांधी के साथ जुड़ाव था।
सोनिया और राव के बीच तल्ख संबंधों को याद करते हुए अल्वा ने कहा कि बोफोर्स मामले पर बिना उनकी जानकारी के सीबीआई से सीधे निपटने के पीएमओ के फैसले ने राव के प्रति सोनिया का संदेह गहरा कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं सीबीआई की प्रभारी मंत्री थी और उन्होंने मुझसे वह कहा। फैसला मेरी जानकारी के बिना लिया गया। फाइल पर पीएमओ ने सीधे कार्रवाई की। अल्वा ने राव के निधन पर सम्मान नहीं जताने के लिए पार्टी नेतृत्व से असहमति जतायी। उन्होंने कहा कि उनका पार्थिव शरीर एआईसीसी परिसर भी नहीं लाया गया। तोप ढोने की गाड़ी गेट के बाहर फुटपाथ पर पार्क की गयी। उन्होंने कहा कि चाहे जो भी मतभेद रहा हो, वह प्रधानमंत्री थे, वह कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे, वह मुख्यमंत्री थे, वह पार्टी के महासचिव थे। जब एक व्यक्ति की मौत होती है आप उस तरह का व्यवहार नहीं करते। 74 वर्षीय अल्वा ने कहा कि राव के निधन पर जिस तरह उनके साथ व्यवहार हुआ उससे उनको चोट पहुंची । साथ ही कहा कि किसी दिवंगत नेता के साथ इस तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिये। 2008 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी की अपनी आलोचना के बाद पार्टी महासचिव के पद से इस्तीफे के बारे में बात करते हुए अल्वा ने कहा कि टिकट बेचने के बारे में कहकर मुझे नतीजा भुगतना पड़ा। अल्वा ने कहा कि चुनावों के पहले पार्टी के खिलाफ बोलने के लिए सोनिया ने उन्हें फटकार लगाई । चुनावों में भाजपा की जीत हुयी। उन्होंने यह भी दावा किया कि वरिष्ठ नेता ए के एंटनी उन्हें पार्टी से निलंबित करवाना चाहते थे लेकिन सोनिया ने उन सुझावों को खारिज कर दिया।

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