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महाराष्ट्र चुनाव को लेकर सोनिया गांधी से मिले राज ठाकरे, पक रही सियासी खिचड़ी

लोकसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी ने इसी साल अक्टूबर में संभावित विधानसभा चुनावों के लिए सियासी कवायद की कमान खुद संभाल ली है। इसी सिलसिले में महाराष्ट्र को लेकर मनसे नेता राज ठाकरे ने सोमवार को दोपहर बाद सोनिया गांधी से मुलाकात की। दोनों की यह मुलाकात शाम करीब साढ़े चार बजे सोनिया के आवास दस जनपथ पर हुई। यह जानकारी देने वाले विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही आरपीआई के नेता और डॉ. भीमराव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर की भी मुलाकात सोनिया गांधी से हो सकती है।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ पूरे राज्य में धुंआधार प्रचार किया था। हालाकि राज ने खुद अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे और न ही उन्होंने कांग्रेस एनसीपी गठबंधन के लिए वोट मांगे थे। लेकिन उन्होंने मुंबई नासिक पुणे समेत अनेक इलाकों में मोदी सरकार के वादों और इरादों पर सवाल उठाते हुए खासा आक्रामक प्रचार करके लोगों से भाजपा शिवसेना गठबंधन को हराने की अपील की थी।

राज की सभाओं में जबर्दस्त भीड़ उमडी थी जिसमें उन्होंने बाकायदा अपने भाषण के साथ पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देकर मोदी सरकार की नीतियों और घोषणाओं पर हमला किया था। यहां तक कि राज ठाकरे पुलवामा में आतंकवादी हमले और उसके बाद बालाकोट पर वायुसेना की कार्रवाई को लेकर भी मोदी सरकार से बेहद असहज सवाल पूछे थे। यह अलग बात है कि राज ठाकरे की इस मेहनत के बावजूद लोकसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस-एनसीपी के लिए निराशाजनक ही रहे।

हार की कगार पर राज ठाकरे की मनसे
राज ठाकरे और उनकी मनसे पिछले विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद से ही हाशिए पर है। लेकिन लोकसभा चुनावों में राज ने अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बना ली, जिसका फायदा उन्हें कांग्रेस एनसीपी गठबंधन के साथ जाने से हो सकता है। इसीलिए राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों के प्रति अपने परंपरागत तेवर भी बेहद नरम कर लिए हैं। लंबे समय से उनका कोई बयान उत्तर भारतीयों के खिलाफ नहीं आया है।

एनसीपी नेता शरद पवार के साथ भी राज ठाकरे के बेहद अच्छे रिश्ते हैं। वहीं प्रकाश आंबेडकर की रिपब्लिकन पार्टी अफ इंडिया ने सांसद असउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के साथ गठजोड़ करके राज्य की लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इस वजह से कांग्रेस एनसीपी गठबंधन को खासा नुकसान हुआ। इसलिए विधानसभा चुनावों में भाजपा शिवसेना गठबंधन को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस एनसीपी की कोशिश है कि राज ठाकरे और प्रकाश आंबेडकर को साथ लिया जाए।

राज ठाकरे का रुख तो कांग्रेस एनसीपी के प्रति नरम है लेकिन प्रकाश आंबेडकर को मनाने में कांग्रेस एनसीपी को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। प्रकाश आंबेडकर महाराष्ट्र की राजनीति में बेहद मंजे हुए खिलाड़ी हैं और अपने जनसमर्थन के बदले में वह विधानसभा सीटों की खासी मांग रख सकते हैं।

जबकि कांग्रेस की कोशिश है कि प्रकाश आंबेडकर के साथ आने से पूरे राज्य में दलित मतदाता एकमुश्त होकर उसके साथ आ सकते हैं। सोनिया गांधी चाहती हैं कि आने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करे जिससे न सिर्फ उसके कार्यकर्ताओं का टूटा मनोबल वापस लौटे बल्कि देश की जनता में भी कांग्रेस के प्रति फिर से नया भरोसा पैदा हो सके।

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