सोने की कीमतें साढ़े 10 महीने के निचले स्तर पर आने के बावजूद देश में इसकी मांग बहुत कम रही। इसका कारण यह है कि नकदी की कमी और छुट्टियों के कारण खरीददार बाजार से दूर हैं। मुंबई के एक सर्राफा व्यापारी ने कहा, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास सोना खरीदने के लिए नकदी नहीं है, जबकि शहरी ग्राहक इन दिनों सैर-सपाटे के मूड में हैं। वह सोना खरीदने के इच्छुक नहीं हैं।’
पिछले महीने 500 और 1000 रुपए के नोट अर्थात जितनी करंसी बाजार में थी, उसके 86 फीसदी हिस्से पर रोक लगा दी गई। व्यापारियों ने कहा कि इससे वैवाहिक सीजन की मांग प्रभावित हुई है। सर्राफा व्यापारियों ने कहा कि दीवाली जैसे त्यौहारों के बाद ज्वैलर्स वैवाहिक सीजन पर निर्भर होते हैं पर इस साल नकदी की में भारी कमी होने के कारण मांग में भारी गिरावट आई है।
घरेलू बाजार में सोने के दाम गिरकर 26,862 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गए, जो इस साल 2 फरवरी के बाद सबसे निचला स्तर है। हाल में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में तेजी से बढ़ौतरी का संकेत दिया था। इसके बाद डॉलर में आई मजबूती के दबाव में सोने के हाजिर दाम पिछले सप्ताह साढ़े 10 महीने के निचले स्तर 1,122.35 डॉलर प्रति औंस पर आ गए। हाजिर सोना लगातार सातवें सप्ताह गिरने जा रहा है। निजी बैंक से जुड़े मुंबई के एक डीलर ने कहा, ‘ऋणात्मक प्रतिफल देने की वजह से पिछले कुछ वर्षों के दौरान बहुत से निवेशकों की सोने में रुचि खत्म हुई है। उन्हें डर है कि सरकार सोना रखने के लिए नए नियम जारी कर सकती है।’ सरकार ने इस महीने के प्रारंभ में साफ किया था कि सोने के आभूषण रखने पर कोई सीमा नहीं है।