सौभाग्य सूचक चूड़ियां पहनने के वैज्ञानिक लाभ
भारतीय आभूषण परंपरा के अनुसार सोलह श्रृंगार में चूड़ियां का स्थान प्रमुख सुहाग आभूषणों में से एक है. वैदिक काल से महिलाएँ अपने हाथों में चूड़ियाँ पहनती रही हैं।अपनी कोमल कलाइयों में कांच , सोना, चांदी, रत्नजड़ित, लाख, सीप आदि की चूड़ियां पारंपरिक रूप से सभी स्त्रियां पहनती है चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित.
चूड़ियां पहने के धार्मिक, आध्यात्मिक, और वैज्ञानिक लाभ है. चिकित्सकीय विज्ञान कहता है की कलाई के नीचे से लेकर 6 इंच तक में जो एक्यूपंचर पॉइंट्स होते है, इनके समान दबाब से दबाये जाने पर शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहता है . आज हम जो आधुनिक विज्ञान के द्वारा जान रहे है श्याद हमारे पूर्वजो ने बहुत पहले से ही ये तथ्य जानते थे . इसलिये उन्होंने इन बातों को हमारे रीती रिवाज़ में पिरो दी है .
आइये जाने चूड़ियां पहनने के वैज्ञानिक लाभ –
1.जिस धातु से चूड़ियाँ बनी होती हैं, उस धातु का महिला के स्वास्थ्य के साथ-साथ एवम उसके आसपास के वातावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए प्लास्टिक से बनी चूड़ियाँ रज-तम प्रभाव वाली होती हैं और वातावरण में से नकारात्मक ऊर्जा अपनी ओर खींचती हैं।अतएव ऐसी चूड़ियां पहनने से बचे .
2.धार्मिक मान्यता के अनुसार कांच की चूड़ियाँ सात्विक होती हैं, वंही विज्ञान का मानना है कि कांच की चूड़ियों की ध्वनि से वातावरण में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
3.आयुर्वेद के अनुसार सोने और चाँदी की चूड़ियां आयु और बलवर्धक होती है। सोने और चाँदी की चूड़ियाँ पहनने से जब ये शरीर के साथ घर्षण करती हैं, तो इनसे शरीर को इन धातुओं के शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते हैं।
4. विज्ञान कहता है के चूड़ियों सोने,चांदी, कांच, सीप और लाख अर्थात प्राकृतिक पदार्थो की ही पहनी चाहिये . कलाई के नीचे चूड़ी पहनाए पर कलाई से लेकर 6 इंच तक में जो एक्यूपंचर पॉइंट्स होते है, उनपर समान दबाब पड़ता है जिसे शरीर स्वस्थ, चुस्त ,और ऊर्जावान बने रहता है .