स्कूली बच्चों के लिए सजा बन गईं मज़ा, ‘ZOOM’ करके देखिए ये तस्वीरें
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आज का दौर ऐसा आ गया है जब स्कूल-कॉलेज में हर शिक्षक को अपने शरारती छात्रों के साथ भी प्यार से पेश आना पड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अब केंद्र सरकार ने निर्धारित कर दिया है कि अगर कोई शिक्षक अपने बच्चों को बेदर्दों की तरह मारता है तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. जिससे उस शिक्षक का करियर बर्बाद भी हो सकता है, दरअसल कुछ समय पहले ऐसी वारदातें सामने आती थीं जिसमें शिक्षक अपने छात्रों को इस तरह मारता था कि कई बार ऐसे केस में उनकी मौत तक हो जाती थी. अब स्कूल के इस बर्ताव में बहुत ज्यादा बदलाव आया है. 90 के दशक में जब बच्चे शैतानी करते थे तब उनके माता-पिता के अलावा शिक्षक भी बिल्कुल वैसे मारते थे जैसे धोबी घाट में धोबी कपड़े धुलते हैं. कैसे स्कूली बच्चों के लिए सजा बन गईं मज़ा, इन तस्वीरों के जरिए देखिए.
कैसे स्कूली बच्चों के लिए सजा बन गईं मज़ा
पहले के बच्चों को शैतानी करने पर ऐसे मारा जाता था, जैसे उनसे बड़ा शैतान और कोई है नहीं. 90 के छात्रों से पूछिए कि शिक्षा पाने के समय उन्हें जो सजा मिलती थी वो उनके लिए सच में सजा होती थी या फिर उन्हें मजा भी आती थी. ऐसा कह जाता है कि स्कूल के दौर में जिंदगी का सबसे अच्छा दौर होता था जिसे लोग पूरी जिंदगी नहीं भूल पाते थे. आज के इस आर्टिकल में तस्वीरों के जरिए हम आपको बताएंगे कि 90 के दशक में बच्चों की सजा ही उनके लिए मजा बन जाती थी.
1. इस तस्वीर को देखकर आप सोचेंगे कि ये क्या हो रहा है लेकिन ये सजा एक को मिली है और मजा सभी ले रहे हैं.
2. क्या आपको मिली है बरसात में ऐसी सजा ? ऐसी सजा का इंतजार 90 के दशक के बच्चे ही समझ सकते हैं जिन्होंने ऐसी सजा का लुत्फ उठाया होगा.
3. मूर्गे की सजा 90 के हर बच्चों ने सजा के तौर पर पाई है लेकिन आज के बच्चे इसे जानते भी नहीं है. ऐसा तो उस समय के बच्चों को ही पता था जब सजा में उन्होंने मजा लिया था.
4. उस समय के दौर में स्कूल में टीचर बच्चों को एक-दूसरे का कान पकड़वाकर खड़ा कर देते थे. ये सजा भी बहुत दिलचस्प हुआ करती थी.
5. 90 के दौर में जब टीचर क्लास से बच्चों को निकाल दिया जाता था तब दूसरे बच्चे भी इंतजार करते थे कि उन्हें भी बाहर निकाल दिया जाए. इसके बाद वो भी इस सजा को लेते और सभी मिल कर मजा लेने लगते थे.