लखनऊ : राष्ट्रीय एथलीट काजल शर्मा ने ‘हिन्दुस्तान शिखर समागम’ का पांचवां सम्मेलन के पहले सत्र में कहा कि स्पोर्ट्स करना कोई मामूली बात नहीं होती है। दौड़ क्या होती है, यह मैं नहीं जानती थी। मेरे पिता और कोच ने मुझे इस मुकाम पर पहुंचाया। उन्होंने कहा कि मेरा सपना अब ओलम्पिक खेलना है। काजल शर्मा ने कहा कि स्पोर्ट्स करना तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन इस काफी बाधाएं आती हैं। स्पोर्ट्स के लिए हर एक चीज की जरूर होती है, अच्छे कोच, अच्छी ट्रेनिंग, सब कुछ। बचपन में मुझे नहीं पता था कि दौड़ क्या होती है और मेरे पिता चाहते थे कि मैं स्पोर्ट्स में अच्छा करूं। लेकिन मेरे डैडी और कोच ने मुझे यहां तक पहुंचा दिया। उन्होंने कहा कि मेरे गांव में दौड़ने के लिए कोई सुविधा नहीं थी, यहां तक कि ग्राउंड भी नहीं था। थोड़ा बड़े होने के बाद डैडी ने मुझे होस्टल ट्रायल दिलाया और होस्टल के बाद मेरे कोच ने अच्छी ट्रेनिंग दी और आज में इस मुकाम पर हूं। ट्रेनिंग के बारे में बताते हुए काजल ने कहा कि वो प्रतिदिन तीन घंटे ट्रेनिंग करती हैं। उन्होंने कहा-मैं लखनऊ के केडी सिंह स्टेडियम में दौड़ती हूं, कोच बीके बाजपेयी हमें तीन घंटे प्रैक्टिस कराते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इंजरी की वजह से मेरा मेडल चला गया था। इंजरी होना खिलाड़ी के जीवन की सबसे बड़ी समस्या। इसमें खिलाड़ी का एक-डेढ़ साल बर्बाद हो जाता है।
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा की रहने वाली काजल शर्मा राष्ट्रीय एथलीट हैं। वह कभी खेतों की मेड़ पर दौड़ लगाती थीं। दौड़ने के इसी शौक ने उन्हें स्टीपलचेज का चैंपियन बना दिया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम किए हैं। काजल शर्मा तब सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने जनवरी 2017 में हुई राष्ट्रीय जूनियर क्रासकंट्री में स्वर्ण पदक जीता था। जुलाई 2018 में उन्होंने राष्ट्रीय यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 2000 मीटर स्टीपलचेज में नए रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता।