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स्मृति ईरानी हो सकती हैं उत्तर प्रदेश में भाजपा का चेहरा

downloadअसम में सफलता के बाद भाजपा आजमाए फार्मूले को जरूरी संशोधनों के साथ उत्तर प्रदेश में आजमाना चाहती है। बिहार में चेहरे का अभाव हार का मुख्य कारण माना गया था। लिहाजा अब उत्तर प्रदेश में सर्व स्वीकार्य चेहरा तय करने पर मंथन तेज है। पुराने नेताओं को बजाए ऊर्जावान नेतृत्व के साथ मैदान में उतरने की रणनीति के तहत स्मृति ईरानी को चेहरा बनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के नेता राष्ट्रीय महासचिव महेन्द्र सिंह ने असम के प्रभारी के रूप में सफलता के बाद अब उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। असम की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले रजट सेठी की टीम को भी उत्तर प्रदेश में उतारने की तैयारी है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के समक्ष मायावती और मुलायम की कड़ी चुनौती है। मुलायम के पास पिछड़ा और मुस्लिम वोट बैंक का आधार है। जबकि दलित वोट बैंक का साथ मायावती की छवि सख्त प्रशासक के रूप में भी रही है। सपा सरकार को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर फिलहाल खासी आलोचनाएं झेलनी पड़ रही है। मायावती शासनकाल के कानून व्यवस्था की स्थिति से तुलना हो रही है। ऐसे में स्मृति ईरानी का चेहरा वोटरों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है। स्मृति ने कम समय में ही तमाम विवादों के बावजूद सख्त प्रशासक की छवि बनाई है। अमेठी में हार के बाद भी ईरानी ने उत्तर प्रदेश से लाइव रिश्ता कायम रखा है और वह लगातार अमेठी का दौरा करती रही हैं।

उत्तर प्रदेश में भाजपा गुटबाजी से ग्रस्त है। सभी बड़े पुराने नेताओं का अलग-अलग खेमा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पुराने नेताओं की क्षमताओं का इस्तेमाल तो करना चाहते हैं लेकिन किसी भी हालत में चुनावी रणनीति में गुटबाजी को हावी नहीं होने देना चाहते। इस रणनीति में भी स्मृति ईरानी का नाम फिट बैठता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर राज्यसभा में ईरानी की दो बार मयावती से तीखी तकरार हुई थी। उससे यह संदेश भी गया कि उत्तर प्रदेश में मायावती के तेवर का उत्तर देने में ईरानी सक्षम हो सकती हैं। उधर कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर प्रियंका गांधी को कांग्रेस का चेहरा बनाने की वकालत कर रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो उस स्थिति में भी पार्टी की ओर से ईरानी बेहतर मुकाबला कर सकती हैं।

असम की सफलता में मतासचिव राम माधव का सहयोग करने वाले आईटी रणनीतिकार रजत सेठी ने कानपुर के ही हैं। रजत सेठी ने साफ कर दिया है कि वह प्रशांत किशोर की तरह वैसे प्रोफेशनल नहीं जो किसी भी पार्टी के लिए काम करता है। वह विचारधारा से भाजपा से जुड़े हैं। अमरीका से लौटने के बाद असम में काम किया और पार्टी को सफलता दिलाई। अब पार्टी उनका उपयोग उत्तर प्रदेश में कर सकती है।

 
 

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