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स्‍पेस में लग गई आग

nasafirespace_16_06_2016एजेंसी/ वॉशिंगटन। यदि अं‍तरिक्ष में आग लग जाए, तो क्‍या होगा? इस सवाल का जवाब मंगलवार तक नासा के पास नहीं था। इसके लिए उसके वैज्ञानिकों ने स्‍पेस में आग लगा दी।

मगर, इससे पहले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अपनी जिंदगी के कई साल देकर और लाखों डॉलर खर्च करके बेहद जटिल मशीन बनाई जिसे स्‍पेस में भेजा गया। नासा के डेविड अर्बन ने एक वीडियो में कहा कि हमने ऐसा वाहन और ऐसी परिस्‍िथतियां बनाने की वर्षों तक कोशिश की, जहां यह काम करे।

शुरुआत में उन्‍होंने मेरे स्‍पेस रिएक्‍शन पर प्रतिक्रिया नहीं दी। कुछ बातचीत के बाद अर्बन और उनके सहयोगियों ने एक हल निकाला। उन्‍होंने कचरे से भरे सिग्‍नस रीसप्‍लाई विहिकल पर एक्‍सपेरीमेंट किया। सिग्‍नस को धरती के वायुमंडल में वापसी के दौरान जलना था, तो तय किया गया कि उसे अंतरिक्ष में ही जला दिया जाए।

मंगलवार की शाम 4.55 बजे धरती से मीलों ऊंचाई पर स्थित इंसुलेटेड कंटेनर में नासा ने जानबूझकर आग लगाई। जिस कैप्‍सूल में इस प्रयोग को अंजाम दिया गया, उसमें एक वीडियो कैमरा, सेंसर्स, एक्‍जॉस्‍ट सिस्‍टम लगाया गया, ताकि आग के जलने के लिए हवा मिलती रहे।

क्‍लेवलैंड में नासा के ग्‍लेन रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिकों ने र‍ेडियो सिग्‍नल के जरिये गर्म तार तौलिये के आकार के कॉटन और फाइबर ग्‍लास पर छुआया। कुछ ही सेकंड में वहां आग लग गई। इस प्रयोग के प्रोजेक्‍ट मैनेजर गैरी रफ ने कहा कि मैंने इस आग को सैफायर (सेफ, फायर) नाम दिया है।

सेंसर्स से मिले आंकड़ों के अनुसार, कचरे के जलने में आठ मिनट लगे, जो कि धरती पर जलने के समय की तुलना में थोड़ा अधिक समय था। यानी उतना ही कचरा धरती पर जलाया जाता, तो जल्‍दी जल जाता। यह प्रयोग इस बात को समझने के लिए किया गया था कि माइक्रोग्रैविटी में आग कैसा व्‍यवहार करती है।

 
 

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