हथनी के दस दिन के बच्चे की वजह से हथनी की जान बच गई। मां के गड्ढे में फंसने पर शिशु हाथी बस्ती की तरफ रुख कर गया। उस पर वन कर्मियों की नजर पड़ी तो हथिनी की तलाश कर बाहर निकाला गया।
कोटद्वार: हथनी के दस दिन के बच्चे की वजह से हथनी की जान बच गई। मां के गड्ढ़े में फंसने पर शिशु बस्ती की ओर चला गया। उस पर वन कर्मियों की नजर पड़ी तो हथनी को तलाशा गया। वह गड्ढे में फंसी मिली। इसके बाद रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित बाहर निकाला गया। जानकारी के अनुसार, वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज के अंतर्गत गिवईं बीट में गिवईं नदी के किनारे एक शिशु हाथी घूमता नजर आया। दस दिन के शिशु हाथी को बस्ती की तरफ अकेला देख वन कर्मियों का माथा ठनका व उन्होंने उच्चाधिकारियों को सूचित करने के साथ ही हाथी के बच्चे की सुरक्षा शुरू कर दी।
शिशु हाथी की माता की तलाश की गई। प्रभागीय वनाधिकारी मयंक शेखर झा, उप प्रभागीय वनाधिकारी गिरीश चंद्र बेलवाल के नेतृत्व में अलग-अलग टीमों ने हथिनी की तलाश की। काफी मशक्कत के बाद विभाग की टीम को लैंसडौन वन प्रभाग के गिवईं कक्ष संख्या तीन में नाले व चट्टान के मध्य खड्ड में फंसी हथिनी नजर आ गई। इस पर हथिनी के बच्चे को लेकर वन विभाग कर्मियों की टीम मौके पर पहुंची। उसे हथिनी चिंघाड़ने लगी व खड्ड से बाहर निकलने का प्रयास करने लगी। इस दौरान विभागीय कर्मियों ने खड्ड से बाहर निकलने के लिए मार्ग बनाया। साथ ही खड्ड में बालू के कट्टे भर हथिनी को बाहर निकलने में भी उसकी मदद की। काफी मशक्कत के बाद हथिनी खड्ड से सुरक्षित बाहर निकल गई। इसके बाद विभागीय कर्मी स्वयं को खतरे में डाल शिशु को हथिनी के समीप ले गए। उसे लेकर हथिनी जंगल की ओर रवाना हो गई।
भागीय वनाधिकारी ने बताया कि हथिनी की गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। बताया कि पशु चिकित्सकों की मदद से शिशु हाथी का स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया गया। इसमें हाथी स्वस्थ पाया गया। हथिनी को सुरक्षित बाहर निकालने वाली टीम में डिप्टी रेंजर दीपक रावत, वन आरक्षी संगीत, नरेंद्र भट्ट, जगवीर, अनूप, महेंद्र, नरेंद्र, राजेश, मुकेश व तरुण कुमार शामिल रहे।