हम गाय का आदर करें, आप सूअर और शराब दूर रखें: आजम
उन्होंने कहा कि हम आपकी गाय का एहतराम करें लेकिन आपको भी चाहिए कि आप सूअर को हमसे दूर रखें, शराब की दुकानों को इबादतगाहों से दूर करें।
आजम खान ने बुधवार को पर्यटन भवन में आयोजित स्वतंत्रता संग्राम में उर्दू समाचार पत्रों की भूमिका पर आयोजित विषयक सेमिनार में खूब सियासी बातें कीं। उन्होंने कहा कि गाय हमारे लिए कल भी काबिले एहतराम थी। बाबर के जमाने में पूरी पाबन्दी थी।
सुल्तान टीपू के जमाने में पूरी पाबन्दी और सख्त सजा थी और सजा-ए-मौत किसी ने तय की थी तो बहादुर शाह जफर ने तय की थी। लेकिन हम यह नहीं चाहते कि मेम साहब के बिस्तर पर कुत्ता तो साथ में सोए लेकिन गाय लू में खड़ी हो और पालीथिन खा रही हो। यह धोखा देने वाली बात है।
आजम ने कहा कि जस्टिस मार्कण्डेय काटजू और शोभा डे के यह कहने पर कि वे बीफ खाते हैं, कोई हमला नहीं होता क्योंकि ऐसा करने वालों को मालूम है कि इससे डण्डे पड़ेंगे और दुनिया में बदनामी होगी लेकिन केरला हाउस पर चढाई हो जाती है और बिहार में 10-20 वोट बढ़ जाते हैं।
दादरी की घटना के आधार पर उन्होंने कहा कि गुमान के आधार पर किसी कमजोर को, किसी लाचार को मार देना कहां का इंसाफ है और उसे जिसके यहां दो महीने पहले आपने सेवइयां खाई थीं।
आजम ने कहा कि इन सबके बावजूद आज देश में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो चाहते हैं कि अमन रहे। यही कारण है कि 2002 में गुजरात के दंगे के बाद भाजपा की सरकार नहीं आई, उसके बाद भी नही आई। देश का आम आदमी किसी की जान और किसी की आबरू लेने, किसी का घर जलाने, कर्फ्यू-दंगा को अच्छा नहीं समझता।
इसे अच्छा समझते हैं साक्षी महाराज जैसे लोग जो अपनी शिष्या के बलात्कारी हैं। उन्होंने कहा कि सियासतदानों ने लोगों में मजहब को अच्छा बुरा बताया है। जिस दिन उनसे यह अधिकार ले लिया जाएगा मुल्क में अमन शान्ति हो जाएगी।
हराम, नाजायज या कमीशन का कोई दाग हमारे दामन पर नहीं है। हमारे खिलाफ सीबीआई जांच नहीं बैठ सकती, मोहल्ले में रहते हैं गली में घर है। अगर जांच होगी तो यही होगी कि विश्वविद्यालय कहां से बनाया, स्कूल कैसे बना और इसके लिए अगर जेल में रहना पड़े तो यह मेरी खुशनसीबी होगी।
उन्होंने कहा कि हम बहुत कड़वी बात कहते हैं लेकिन कहीं उसमें वतन के साथ दुश्मनी नहीं होती है,किसी के साथ नफरत नहीं होती। मुझे इस तरह पहचाने वाले भी बहुत हैं। जौहर विश्वविद्यालय में जो पैसा लगा है उसका 80 फीसदी हिस्सा उनका है जो मुसलमान नहीं हैं।
विक्टोरिया से अधिक जिक्र मिला हमारी भैंसों को
आजम खान ने अपनी भैंसों का जिक्र फिर खुद ही कर दिया। उन्होंने कहा कि मेरी भैंसें गुम हो गईं ये आप सबकी जानकारी में है। जकात का पैसा निकला हुआ था तो क्या शोहरत हासिल हुई इन भैंसोंको? आज के जमाने में मल्लिका विक्टोरिया का कोई इतना जिक्र नहीं करता होगा, जितना जिक्र मेरी भैंसों का किया जाता है, वजीरे आजम तक ने जिक्र किया।
मीसा की नहीं, औरत जान की तौहीन
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी के जिक्र में आजम खान ने कहा कि यह केवल मीसा की नहीं, औरत जात की तौहीन हुई है। औरतों के लिए इतनी ओछी, इतनी हल्की जबान के प्रयोग को पूरे देश को नोटिस लेना चाहिए।
पर्सनल ला बोर्ड अपनी राय रखे
पर्सनल लॉ के रिव्यू के मसले पर आजम खान ने पत्र-प्रतिनिधियों से कहा कि पर्सनल ला बोर्ड अपनी बैठक कर अपनी राय का इजहार जब तक न करे तब तक हमें इसे दखल नहीं मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि रिव्यू का मतलब ऐसा नहीं होता कि आप उसमें कोई ऐसी तब्दीली कर दें जो इस्लामी भावना के खिलाफ हो।
अगर पर्सनल लॉ के खिलाफ कोई फैसला देना होता तो सुप्रीम कोर्ट उसमें सक्षम था लेकिन उसने रिव्यू करने को कहा है। उससे बेहतर कुछ कर सकते हैं तो करना चाहिए।