हरभजन ने की सौरव गांगुली की तारीफ, कहा- उन्होंने मुझे निडर स्पिनर बनाया
नई दिल्ली: हरभजन सिंह अपने करियर में कई कप्तानों के साथ खेले हैं। दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजन ने मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में डेब्यू किया। वह सौरव गांगुली के नेतृत्व में टीम के नियमित सदस्य बने। हरभजन 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 के विश्व कप में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सदस्य रहे। 2007 के वनडे विश्व कप में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में टीम इंडिया पहले ही चरण में बाहर हो गई थी। कई कप्तानों के साथ खेलने वाले हरभजन सिंह का कहना है कु उनके करियर में सबसे ज्यादा प्रभाव सौरव गांगुली का रहा है। उन्होंने ही मुझे गेंदबाजी की छूट दी और निडर स्पिनर बनाया।
हरभजन सिंह इंडियन प्रीमियर लीग में अनिल कुंबले, विराट कोहली और रोहित शर्मा की कप्तानी में भी खेले। हरभजन पर किस कप्तान का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा? जब उनसे यह पूछा गया तो 39 साल के भज्जी ने सौरव गांगुली का नाम लिया।
भज्जी ने आकाश चोपड़ा के साथ एक यूट्यूब चैनल पर कहा, ”मेरे क्रिकेट करियर में सौरव गांगुली की भूमिका सबसे बड़ी थी। एक समय में मैं ऐसे मोड़ पर था, जब मुझे समझ नहीं आता था कि कौन मेरे साथ है, क्योंकि लोग मेरे सामने कुछ कहते थे और पीछे कुछ।”
उन्होंने आगे कहा, ”लेकिन सौरव गांगुली ने उस वक्त मेरा समर्थन किया, जब मेरे पास किसी का समर्थन नहीं था।” हरभजन ने आकाश चोपड़ा के आकाशवाणी प्रोग्राम में बातचीत के दौरान कहा, ”चयनकर्ता मेरे खिलाफ थे। उन्होंने बहुत-सी बातें मेरे सामने कीं, जिन्हें मैं नहीं बता सकता। मेरे लिए गांगुली की तारीफ के लिए शब्द नहीं हैं। यदि वह कप्तान न होते तो मैं कह नहीं सकता कि दूसरा कप्तान मुझे सपोर्ट करता या नहीं।”
हरभजन ने कहा, ”अगर सौरव गांगुली नहीं होते तो मैं कभी 100 टेस्ट नहीं खेल पाता।” हरभजन ने कहा, ”गांगुली हमेशा गेंदबाजों के साथ खड़े रहे। वह गेंदबाजों को मर्जी से गेंदबाजी की छूट देती थे।” उन्होंने कहा, ”यदि आप कैच पकड़ने के लिए 4-5 फील्डर सामने चाहते हैं तो गांगुली वही करते थे। कभी-कभी वह वनडे में 6-7 ओवर फिंकवाते। मैं उनका शुक्रिया अदा करते। उन्होंने मुझे एक अच्छे गेंदबाज के रूप में तैयार किया। उनकी वजह से ही मैं साहसी और भरोसे का निडर स्पिनर बन पाया।’