ज्ञान भंडार
हरियाणा पंचायत चुनावः 13 अक्टूबर को फिर होगी सुनवाई, सरकार रखेगी अपना पक्ष


सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता में 70 साल बाद बदलाव किया गया है। जो प्रगति के लिए किया गया है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि अजीब स्थिति है, अनपढ़ एमएलए और एमपी तो चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि सरपंच नहीं। इस मामले में थर्ड पार्टी इंदिरा जयसिंह ने मामले को संवैधानिक पीठ भेजने की मांग की थी, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया। सुनवाई अभी भी जारी है।
गौरतलब है कि बुधवार को भी इस मामले पर 3 बजे तक सुनवाई हुई थी। सरकार द्वारा किए गए संशोधन की एक-एक शर्त पर बहस हुई थी। इस दौरान कर्ज चुकता करने की शर्त, बकाया बिजली बिलों का भुगतान, जघन्य अपराध में चार्जशीट होने पर चुनाव नहीं लड़ पाने की शर्त पर सुनवाई हुई थी। आज भी अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी कोर्ट में सरकार की तरफ से बहस कर रहे हैं। याचिकाकर्ता जगमती सांगवान भी पहुंची हुई हैं।
क्या है संवैधानिक पीठ
वर्तमान में वे दो या तीन न्यायाधीशों की छोटी पीठ (जिन्हें ‘खंडपीठ’ कहा जाता है) सुनवाई करती है। संवैधानिक मामले और ऐसे मामले जिनमें विधि के मौलिक प्रश्नों की व्याख्या देनी हो, की सुनवाई पांच या इससे अधिक न्यायाधीशों की पीठ (जिसे ‘संवैधानिक पीठ’ कहा जाता है) द्वारा की जाती है। कोई भी पीठ किसी भी विचाराधीन मामले को आवश्यकता पड़ने पर संख्या में बड़ी पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज सकती है।
अगस्त में किया था सरकार ने कानून में संशोधन
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने 11 अगस्त को कैबिनेट मीटिंग में पंचायती राज कानून में बदलाव लाने संबंधी संशोधन विधेयक विधानसभा में ध्वनिमत से पारित किया था। पंचायत चुनाव लड़ने के लिए चार शर्तें लागू की गई थी। इसमें महिलाओं व एससी वर्ग के लिए शैक्षिक योग्यता 8वीं और बाकी सभी के लिए 10वीं पास, पर्चा भरने से पहले घर में टॉयलेट होना, सहकारी बैंक का लोन व बिजली बिल समेत सभी सरकारी देनदारियों का भुगतान निपटाना और 10 साल की सजा के प्रावधान वाले मामलों में प्रत्याशी का चार्जशीटेड न होना शामिल हैं।