हरियाणा में तेज हवाओं के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। इससे खेतों में पकी खड़ी गेहूं की फसल बिछ गई अौर मंडियों में खुले में पड़ा गेहूं भीग गया। राज्स में करीब 10 लाख क्विंटल गेहूं खराब होने की आशंका है। अगर मौसम साफ नहीं हुआ तो खेतों में बिछी फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। अगले एक- दो दिन में फिर बारिश की संभावना ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मौसम विशेषज्ञों ने आने वाले दो दिन तक मौसम परिवर्तनशील रहने और गरज के साथ कहीं-कहीं बूंदाबांदी की संभावना जताई है।
मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले दो दिन तक बारिश की संभावना जताई
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआइ) के मौसम विभाग ने 10 और 11 अप्रैल को भी मौसम खराब रहने की संभावना जाहिर की है। इससे तापमान में तो गिरावट आएगी, लेकिन बरसात में भीगने से फसल खराब होने का खतरा रहेगा। सिरसा, फतेहाबाद, दादरी, रोहतक, झज्जर, हिसार, भिवानी, सोनीपत, करनाल, झज्जर, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और पानीपत सहित कई जिलों में अचानक हुई बारिश ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। बारिश से काफी बालें भी झड़ गई हैं जिससे दाने कम निकलेंगे। वहीं मंडियों में गेहूं में नमी की मात्रा बढ़ गई है जिससे किसानों को दाम कम मिलेंगे और फसल बेचने में दिक्कत आएगी।
चरखी दादरी के गांवा बिगोवा में ओले गिरने से सर्वाधिक नुकसान हुआ है। बारिश के साथ लगातार 15 मिनट तक ओले गिरने से खेतों में बर्फ की सफेद चादर बिछ गई। रोहतक में सोमवार को 02 एमएम बरसात दर्ज की गई। कैथल में 14, गुहला में 16 और कलायत में दो एमएम बारिश दर्ज की गई। जींद में 07 और नरवाना में 10 एमएम बारिश रिकार्ड की गई है।
कैथल में आढ़ती और किसानों ने बदइंतजामी को लेकर प्रदर्शन किया। करनाल जिले में 12 एमएम बरसात हुई, जिससे मंडियों में बरसात में गेहूं भीग गया। यमुनानगर के रादौर में 7 व सरस्वती नगर में 2 एमएम बारिश दर्ज की गई। कुरुक्षेत्र में करीब चार घंटे तक आसमान से पानी बरसा। यहां करीब 20 एमएम बरसात दर्ज की गई।
मंडियों में रही अव्यवस्था
बारिश के कारण प्रदेश की अधिकांश मंडियों में अव्यवस्था फैली रही। किसान गेहूं को बचाने के लिए प्रयासरत रहे, लेकिन मंडियों में पर्याप्त जगह और सुविधा नहीं होने से खासी परेशानी हुई । मंडियों में तिरपालों की पूरी व्यवस्था नहीं है। खरीद एजेंसियों के कई गोदामों में खुले में रखा गेहूं भी बारिश में भीगता रहा। कुछ मंडियों में टैंकरों की मदद से पानी को निकलवाया गया।
किसानों को चट्टे नहीं लगाने की सलाह
मंडी प्रबंधक किसानों को सलाह दे रहे हैं कि खेतों में भीग चुकी फसल के चट्टे न लगाएं। चट्टों में लगी जो फसल भीग गई है, उसे मौसम साफ होते ही अलग-अलग कर दें, जिससे उनमें अच्छी तरह से हवा व धूप लग सके। बारिश होने की आशंका हो तो चट्टों को तिरपाल से ढक दें। यदि गेहूं भीग गया हो तो उसे तिरपाल पर फैलाकर सुखा लें।