सावन माह की हरियाली तीज 26 जुलाई बुधवार को मनाई जाएगी। सावन के महीने में बुधवार और तीज का अपना अलग महत्व है। कुछ इलाकों में इसे मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है। बुद्ध ग्रह का संबंध प्रकृति से है और प्रकृति का रंग हरा है। अतः ये दिन मूल रूप से परमेश्वर शिव से उसकी प्रकृति गौरी के मिलने का दिन है। तथा भक्तजनों के लिए यह दिन भगवान शंकर तथा गौरी की आराधना का दिन है। गौरी और शिव सुखद व सफल दांपत्य जीवन को परिभाषित करते हैं। अतः इनकी पूजा इसी अभिलाषा से की जाती है कि वे पूजन तथा व्रत करने वाले को भी यही वरदान दें। श्रावणी तीज में विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं तथा इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं।
शास्त्रों के अनुसार आज के दिन भगवान शंकर और मां गौरी की पूजा का विधान है। मान्यता है की भगवान शिव ने सावन में अपनी संगिनी देवी पार्वती का हाथ थामा था। आप भी सौभाग्यवती होने का वर चाहती हैं या मनभावन जीवनसाथी की इच्छा रखती हैं तो मां पार्वती को करें प्रसन्न। कुछ विशेष उपाय करने से पति-पत्नि के संबंधों में कभी कड़वाहट नहीं आएगी और धन-धान्य से भरेगा घर-आंगन।
सुहागन महिलाओं को सुहाग का सामान भेंट करें।
पत्नी घर में चावल की खीर बनाए, फिर पति-पत्नी मिलकर भोग लगाएं तत्पश्चात मिलकर प्रसाद ग्रहण करें।
पति-पत्नी मिलकर भगवान शिव-पार्वती के मंदिर में जाएं और लाल रंग के फूल चढ़ाएं।
शिवालय जाकर मां पार्वती के स्वरूप का दूध और केसर से अभिषेक करें। दांपत्य जीवन में आत्मिक प्रेम बढ़ेगा।
माता पार्वती के स्वरूप पर 16 श्रृंगार का सामान भेंट करें।