हर आकार के कैंसर ट्यूमर को खत्म करेगी पेंसिल, यहाँ शुरू हुआ इलाज
सेंटर के निदेशक डॉ. राकेश जलाली ने बताया कि प्रोटोन पद्धति के तहत पीबीएस कैंसर के लिए वरदान है। कई मरीजों में ट्यूमर के दुर्लभ आकार और हड्डियों के नजदीक होने के कारण रेडिएशन के दौरान शरीर के बाकी हिस्से को नुकसान होता है। पेंसिल बीम से इसे रोका जा सकता है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, देश में इस समय पुरुषों में प्रोस्टेट और महिलाओं में स्तन व गर्भाशय कैंसर सबसे ज्यादा मिल रहे हैं। चूंकि इनमें ट्यूमर का आकार और फैलाव अत्यंत सूक्ष्म होता है। इसलिए पेंसिल बीम थेरेपी मरीजों के लिए बेहतर साबित हो रही है।
क्या है पेंसिल बीम थेरेपी
डॉ. जलाली ने बताया कि यह एकदम चित्रकारी जैसा अनुभव है। जिस तरह किसी चित्र में पेंसिल के जरिये शेड दिया जाता है, उसी तरह ट्यूमर पर पेंसिल धीरे-धीरे रेडिएशन का शेड देती है। आमतौर पर कैंसर मरीज को कीमो में बाल झड़ने और तड़प वाली पीड़ा होती है। रेडियोथेरेपी में उसकी त्वचा जल जाती है और असहनीय पीड़ा होती है, जबकि प्रोटोन थेरेपी इन सभी दुष्प्रभावों से मुक्त है।
इस तरह के कैंसर का होगा खात्मा
एम्स के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने बताया कि स्तन, यूट्रस, नाक-गला-स्कल, लिवर, फेफड़ा, बाल, प्रोस्टेट, रीढ़ की हड्डी, पेट कैंसर और लिम्फोमा के इलाज में पेंसिल थेरेपी कारगर है। इसका रेडिएशन केवल ट्यूमर पर पड़कर उसके सेल्स खत्म करता है।
तीन मिनट में ही असर
डॉक्टरों के अनुसार शुरुआती तीन मिनट में ही इस थेरेपी का असर दिखने लगता है। इससे मरीज की गुणवत्तापूर्ण जीवन आयु बढ़ती है। ये थेरेपी मरीज के उपचार का लंबा समय, खर्चा, दुष्प्रभाव, रेडिएशन से बचाव करती है। प्रोटोन पद्धति में ये सबसे ज्यादा कारगर साबित हुई है। जल्द ही इसे राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (झज्जर) में भी उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है।