हवाई सफर करने वालों के लिए खुशखबरी, कैंसलेशन चार्ज पर मिलेगी बड़ी राहत
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हवाई दुर्घटनाओं में मृत्यु, सामान गायब होने पर मुआवजे में बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है. इसके अलावा टिकट रद्द करने के शुल्क की सीमा तय करने और यात्रियों की आगे यात्रा के लिए उड़ान छूटने की स्थिति में मौद्रिक लाभ का भी प्रस्ताव किया गया है. अगले कुछ दिनों में मसौदा प्रस्ताव सार्वजनिक कर आम लोगों से इस पर राय मांगी जा सकती है.
मंत्रालय ने पहले ही शिकायतों के निदान के लिए ऐप पेश किया है. साथ ही सुरक्षा जांच के दौरान यात्रियों के बैग पर मुहर लगाने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है. यात्रियों के अधिकारों की सुरक्षा और सरकार द्वारा यात्रियों के लिए कुछ कदम न उठाए जाने की आलोचना को देखते हुए यह कदम उठाए जा रहे हैं.
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बुधवार को ट्वीट कर लिखा- हमने विमानन कंपनियों, हवाईअड्डों और उद्योग के कुछ अन्य हिस्सेदारों के साथ शुरुआती चर्चा की है. इससे बेहतर यात्री चार्टर बनाने में हमें मदद मिली है. अब हम इसे सलाह के लिए सार्वजनिक कर सकते हैं. इस समय यात्रा में देरी, यात्रा निरस्त होने बोर्डिंग से इनकार की स्थिति में यात्रियों को लाभ एवं सुविधाएं दिए जाने का प्रावधान है. सामान क्षतिग्रस्त होने या गायब होने की स्थिति में या हवाई दुर्घटनाओं में मृत्यु या घायल होने की स्थिति में वैश्विक मानकों का पालन किया जाता है.
मंत्रालय ने सामान गायब होने पर 1,000 से 3,000 रुपये/किग्रा मुआवजा देरी या क्षति की स्थिति में घरेलू और विदेशी दोनों ही यात्राओं के मामले में देनदारी बढ़ाई है. इस समय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं में सामान क्षतिग्रस्त या गायब होने की स्थिति में क्रमश: करीब 20,000 रुपये और 1,00,000 रुपये मुआवजे का प्रावधान है.
मंत्रालय ने उड़ान में देरी और उड़ान रद्द होने के नियमों में भी संशोधन की सिफारिश की है. अगर यात्री की अगली उड़ान छूटती है तो ऐसी स्थिति में विमान कंपनी को 3,000 से 20,000 रुपये तक मुआवजा देना होगा. इसके अलावा मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव किया है कि अगर कोई यात्री गंतव्य स्थल पर पहुंचने के बाद दूसरी उड़ान पकड़ने वाला है और देरी की वजह से उसकी उड़ान छूट जाती है तो विमान सेवा प्रदाता को मुआवजा देना होगा. एसडीआर विशेष निकासी अधिकार है, जिस मौद्रिक इकाई को आईएमएफ ने बनाया है. इसका इस्तेमाल मुआवजे की गणना में होती है.
एयरलाइन को अंतरराष्ट्रीय यात्रा में मौत के मामले में 1 करोड़ रुपये (एसडीआर के बराबर रुपये) और घरेलू यात्रा में 2,00,000 रुपये मुआवजा देना होता है. मंत्रालय ने सिफारिश की है कि घरेलू और विदेशी दोनों ही उड़ानों में एकसमान देनदारी होनी चाहिए. अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे विमान सेवा प्रदाताओं के बीमा का खर्च बढ़ जाएगा.
टिकट रद्द करने के बहुत ज्यादा शुल्क से ग्राहकों को बचाने के लिए सरकार चाहती है कि एयरलाइंस नाम में स्पेलिंग की गलती होने पर नाम बदलाव की स्थिति में शुल्क न लगाएं, अगर यात्री ने इसकी सूचना 24 घंटे के पहले दे दी हो. साथ ही विमान सेवा कंपनियां टिकट पर टिकट रद्द करने के शुल्क का उल्लेख करें.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अभी भी बातचीत जारी है. आम लोगों से राय के लिए ज्यादा बेहतरीन मसौदा पेश किया जाएगा. अधिकारियों के मुताबिक विमान कंपनियों का तर्क है कि अगर यात्री की अगली उड़ान छूटती है तो उसके लिए विमान सेवा प्रदाताओं को जवाबदेह नहीं बनाया जाना चाहिए.