अभी तक न्यायाधीशों के खिलाफ इधर उधर से आयी शिकायतों पर सुप्रीमकोर्ट कोलीजियम विचार करती थी और इन हाउस प्रक्रिया अपनाई जाती थी।
नई दिल्ली। अभूतपूर्व घटनाक्रम में सुप्रीमकोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश सीएस करनन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया है। यह पहला मौका है जबकि सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना मामले में स्वत: संज्ञान लिया हो। इतना ही नहीं यह भी पहली बार होगा जबकि सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठतम सात न्यायाधीशों की पीठ खुली अदालत में न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना पर सुनवाई करेगी। अभी तक न्यायाधीशों के खिलाफ इधर उधर से आयी शिकायतों पर सुप्रीमकोर्ट कोलीजियम विचार करती थी और इन हाउस प्रक्रिया अपनाई जाती थी। खुली अदालत में इस तरह मामले पर सुनवाई नहीं होती थी। वैसे बताते चलें कि जस्टिस करनन ऐसे न्यायाधीश है जो अपने कामों के लिए कई बार चर्चा में रहे हैं। कभी अपने ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना आदेश जारी करने में तो कभी और किसी मसले पर चिट्ठियां लिखने में।
सूत्र बताते है कि यह मामला जिसमे सुप्रीमकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है, जस्टिस करनन द्वारा प्रधानमंत्री को न्यायधीशों के बारे में पत्र लिखने से जुड़ा है। सूत्र बताते हैं जस्टिस करनन ने गत जनवरी में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर करीब 20 न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और उनसे पैसे वापस लेने की बात कही है। सूत्र यह भी बताते हैं कि प्रधानमंत्री को भेजी गई जस्टिस करनन की चिट्ठी में सुप्रीमकोर्ट के कई सेवानिवृत न्यायाधीशों के भी नाम हैं इसके अलावा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों पर आरोप लगाये गये हैं। इस सब के अलावा जस्टिस करनन ने मद्रास हाईकोर्ट मे न्यायाधीश रहते हुए अपने साथी न्यायाधीशों को पत्र लिख कर उन पर नस्ली भेदभाव का आरोप लगाया था और उन पर एससी एक्ट में मुकदमा करने की बात कही थी। माना जा रहा है कि सुप्रीमकोर्ट ने इन्ही सब बातों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले पर खुली अदालत में सुनवाई का मन बनाया है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे. चेल्मेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ जस्टिस करनन के खिलाफ अवमानना के मुद्दे पर सुनवाई करेगी। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी भी होंगे और वे मामले की सुनवाई में न्यायालय की मदद करेंगे।
वैसे ये पहला मौका नहीं है जबकि जस्टिस करनन अपने लीक से हटकर आचरण के लिए चर्चा में आये हों। उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में रहते हुए एक बार अपने ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना आदेश जारी किया था जिस पर बाद में सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगाई थी। इसके अलावा जस्टिस कनरन ने उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट स्थानांतरित किये जाने पर स्वयं सुनवाई शुरू कर दी थी जिसके खिलाफ बाद में मद्रास हाईकोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की। वह मामला अभी सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। इतना ही नहीं पिछले दिनों जस्टिस करनन ने सुप्रीमकोर्ट से अपने उस मामले में स्वयं पेश होकर अपनी पैरवी खुद करने की इजाजत मांगी थी और अपने वकील को मुक्त करने का कोर्ट से आग्रह किया था।
कोर्ट ने उनके आग्रह पर उनके वकील को उस मामले से मुक्त कर दिया था। उस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने जस्टिस करनन पर करीब 12 फाइलें रखे होने का आरोप लगाया है इस सब पर कोर्ट ने जस्टिस करनन से जवाब मांगा था। हालांकि मंगलवार को वह मामला सुनवाई पर नहीं लगा है। मंगलवार को जिस मामले में सुनवाई होनी है वह नयी अवमानना याचिका है जो कि सुप्रीमकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रजिस्टर की है।