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हाईकोर्ट ने बैनर, पोस्टर पर नगर निकायों से किया जवाब-तलब
इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश के नगर निकायों को नोटिस जारी करके गैरकानूनी तौर पर लगाये जाने वाले पोस्टर बैनर पर जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुनील चौधरी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश म्युनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट की धारा 193 के तहत बगैर निगमों के लिखित अनुमति के शहर में सार्वजनिक स्थलों पर प्रचार सामग्री नहीं लगायी जा सकती है। याचिका में कहा गया है कि इस सम्बन्ध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 4 अप्रैल 2016 को पारित किए गए आदेश और राज्य सरकार के 23 जून 2017 के शासनादेश की भी लगातार अनदेखी हो रही है।
बता दें कि दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी निकायों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। इसके अलावा मामले में कोर्ट ने निकायों से 13 नवम्बर तक जवाब भी मांगा है।
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस एमके गुप्ता की खण्डपीठ ने ये आदेश दिया है। ग़ौरतलब है कि शहर में प्रचार सामग्री लगाने से पहले निगमों को निर्धारित राशि और कर का भुगतान करना अनिवार्य है। लेकिन आए दिन होने वाली राजनीतिक दलों की रैलियों के दौरान जमकर नियमों का उल्लंघन होता है और शहर बैनर, पोस्टर और होर्डिंग से पाट दिया जाता है। इसी क्रम में अक्सर देखने में आया है कि नियमों को ताक पर रखकर व्यापारिक संस्थानों के भी बैनर, पोस्टर और होर्डिंग शहर की सुंदरता को बदरंग कर रहे होते हैं। खेदजनक बात तो यह है कि इन पोस्टर-पेम्प्लेट की समस्या से सार्वजनिक स्थल भी अछूते नहीं है। शहर के रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड व बगीचों की दीवारों पर भी लगे से इन स्थलों की सुंदरता दागदार होती रही है।