उत्तर प्रदेशराज्य

हाईकोर्ट :‘प्रधानपति’, ‘प्रधानपिता’, ‘प्रधानपुत्र’, कोई नहीं चलेगा

high-court-court-chandigarh-court-court-hammer_1457178274ग्राम प्रधान का पद पैतृक संपत्ति नहीं है जिसे किसी को सौंप दिया जाए। महिला ग्राम प्रधान की जगह प्रधानपति, प्रधानपिता या प्रधानपुत्र जैसी चीजों को मान्यता नहीं दी जा सकती, ऐसी सोच खत्म करने की जरूरत है। 
 
सीधे जनता द्वारा चुने गए व्यक्ति की जगह खुद को रखने वाले व्यक्ति पर आपराधिक केस किया जा सकता है।’ हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यह टिप्पणी एक महिला ग्राम प्रधान के पति की याचिका निपटाते हुए की। 

जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस शमशेर बहादुर सिंह ने प्रदेश सरकार के पंचायत राज सचिव को इस संबंध में सभी ग्राम प्रधानों को निर्देश देने को कहा है। साथ ही इस चलन के लिए ग्राम प्रधानों को चेतावनी देने को भी कहा है।

याचिका विनोद कुमार मिश्रा ने दायर की थी। उन्होंने अपनी पत्नी की ओर से दायर याचिका में प्रतापगढ़ की लालगंज तहसील की ढिंगवस ग्राम पंचायत में राशन दुकानों के आवंटन में मनमानी का आरोप लगाया था। 

उनकी पत्नी ढिंगवस की ग्राम प्रधान हैं। खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची ग्राम प्रधान का पति है और उसने याचिका ग्राम प्रधान की ओर से याचिका दायर की है। याचिका में उठाए गए मुद्दे के अलावा यह एक बड़ा मुद्दा है कि पंचायत की जिम्मेदारी कोई और व्यक्ति निभा रहा है। ऐसे में यह याचिका जनहित याचिका नहीं रह जाती। 

अदालत ने सवाल किया कि विनोद मिश्रा को क्या अधिकार है कि वे चुनी हुई ग्राम प्रधान के आधिकारिक और औपचारिक कर्तव्यों को खुद निभाने लगें। हाईकोर्ट ने कहा कि ग्राम प्रधान ही ग्राम पंचायत और ग्राम सभा की ओर से सिविल केस दायर करता है। 

उसका यह अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि सरकार अगर चाहे तो याचिका में उठाए गए मुद्दे पर जांच करके उसे सुधार सकती है। विनोद मिश्रा का आरोेप है कि एसडीएम नियमों को दरकिनार राशन दुकानों का आवंटन कर रहे हैं।

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