हाई-टेक भारतीयों के भरोसे दुनिया का तकनीकी हब बनने का सपना देख रहा चीन
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट झेल रहे चीन ने अब खुद को दुनिया के टेक्नॉलजी हब के तौर पर विकसित करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। दिलचस्प बात यह है कि चीन यह उपलब्धि अपने नागरिकों के भरोसे नहीं, बल्कि टेक्नॉलजी सेक्टर में सक्रिया हाई-स्किल्ड भारतीयों के जरिए हासिल करना चाहता है। अमेरिका की ही तरह चीन भी हाई-स्किल्ड भारतीयों को आकर्षित करने का इरादा रखता है ताकि वह तकनीकी आविष्कारों का हब बन सके।
ABVP की प्रेस कॉन्फ्रेंस
ABVP के कार्यकर्ता भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखेंगे। इस पूरे मामले में एबीवीपी सबसे ज्यादा निशाने पर रही है। उमर खालिद के सेमिनार में शामिल होने को लेकर एबीवीपी ने विरोध जताया था जिसके बाद हिंसक झड़प हुई थी। एबीवीपी ने सोमवार को रामजस कॉलेज से आर्ट्स फैकल्टी तक तिरंगा यात्रा निकाला था।चीन के प्रयासों से जुड़े लोगों ने बताया कि यह कदम ऐसे वक्त में उठाए जा रहे हैं, जब भारत के साथ उसके संबंध निचले स्तर पर हैं। भारत में वांछित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों पर संयुक्त राष्ट्र में लगाम कसने की मांग पर अड़ंगा लगाने और एनएसजी में एंट्री का विरोध करने की वजह से दोनों देशों के संबंध मधुर नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक भारतीय टेक्नोक्रेट्स के लिए अपने दरवाजे खोलकर चीन दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ाने की कोशिश में है।
हाल ही में चीन के सरकारी अखबारी ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक आलेख में सरकार को सलाह दी थी कि उसे भारत के हाई-टेक टैलंट को हायर करना चाहिए। अमेरिका में वीजा नियमों में सख्ती के संकेतों के बीच भारतीय लोगों के पास चीन में बड़ी नौकरियां हासिल करने का मौका होगा। ग्लोबल टाइम्स के स्टाफर हू विजिया ने लिखा, ‘बीते कुछ सालों से चीन में टेक जॉब्स का बूम देखने को मिला है। विदेशी रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट सेंटर्स के लिए चीन आकर्षक डेस्टिनेशन बन चुका है।’