उत्तर प्रदेशराजनीति

हाथी के साथ हाथ को लाने की कोशिश फेल, कांग्रेस ने ठुकराया 9 सीटों का ऑफर

उत्तर प्रदेश महागठबंधन में कांग्रेस को शामिल करने की कोशिश एक बार फिर से विफल हो गई है. कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) महागठबंधन के 2 से बढ़ाकर 9 सीटें देने के ऑफर को ठुकरा दिया है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. इस विफलता के बाद भी कांग्रेस को शामिल करने की कोशिश जारी है और सहमति बनाने के लिए चर्चा की जा रही है. आपको बता दें कि प्रियंका गांधी के राजनीति में आते ही उत्तर प्रदेश का सियासी समीकरण बदल गया है. सूबे में सपा और बसपा ने जिस कांग्रेस को गठबंधन से बाहर कर दिया था, अब उसको शामिल करने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं.

सपा-बसपा महागठबंधन ने कांग्रेस को जितनी सीट देने का ऑफर दिया है, उस पर कांग्रेस राजी नहीं है और ज्यादा सीटों की मांग कर रही है. सूत्रों के मुताबिक सपा-बसपा गठबंधन ने कांग्रेस को 2 से बढ़ाकर 9 सीटों का ऑफर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. बताया जा रहा है कि यूपी गठबंधन में कांग्रेस को भी लाने के लिए अब भी बातचीत जारी है.

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सपा और बसपा ने गठबंधन किया था, जिसके तहत समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों और बहुजन समाज पार्टी ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. इसके अलावा अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के लिए 3 सीटें और कांग्रेस के लिए 2 सीटें छोड़ी गई थीं. कांग्रेस के लिए जो सीटें छोड़ी गई थीं, उनमें रायबरेली और अमेठी सीटें शामिल थीं.

कुल मिलाकर सपा-बसपा ने कांग्रेस को अपने गठबंधन से बाहर ही कर दिया था. इसके बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही. इसके साथ ही कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया को उत्तर प्रदेश में मैदान में उतारा. प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी का महासचिव और पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाया. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस महासचिव और पश्चिमी यूपी का प्रभारी नियुक्त किया.

कांग्रेस पार्टी की महासचिव का पदभार संभालने के बाद प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ दौरे किए और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मैराथन बैठकें कीं. इसके बाद से यूपी का चुनावी गणित बदल गया और सपा-बसपा गठबंधन को कांग्रेस भाने लगी.

अब यूपी में कांग्रेस को भी महागठबंधन में लाने की कोशिश की जा रही है. साल 2014 के आम चुनाव में 30 साल बाद अगर भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला था, तो इसका कारण यह था उसने यूपी की कुल 80 सीटों में से 71 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. साथ ही बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने भी 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी यानी एनडीए को यूपी की 80 सीटों में से 73 सीटों पर जीत मिली थी.

इस लोकसभा चुनाव में एसपी, बीएसपी और कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था. लिहाजा बहुकोणीय चुनावी मुकाबले का फायदा बीजेपी को मिला, लेकिन अब राजनीतिक हालात बदल गए हैं. यूपी में लंबे समय तक एक-दूसरे की धुर विरोधी रहीं सपा और बसपा ने भी बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए हाथ मिला लिया है.

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