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हार पर शिवराज सिंह चौहान को याद आए अटल बोले- न हार में न जीत में, ये भी सही वो भी सही
हार भी अजीब होती है। राजनीतिक हो तो और भी अजीब। तीन बार तक लगातार सत्ता में रहने के बाद मिली हो तो और भी अजीब। थोड़ी कसैली सी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज की जुबां पर भी फिलहाल यही जायका होगा।
शायद यही वजह है कि उन्हें आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद आ गई और वो बोल उठे-
न हार में, न जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
कर्तव्य पथ पर जो भी मिले
ये भी सही, वो भी सही
मानना होगा कि शिवराज ने जोरदार लड़ाई लड़ी। जो लड़ाइयां अंत तक याद रहती हैं, मध्यप्रदेश की लड़ाई भी वैसी ही रही। देर रात तक एक-एक सीट, एक-एक वोट पर मारा-मारी। खैर, कांग्रेस 114 पर तो पहुंच गई लेकिन बहुमत के आंकड़े से फिर भी दो कदम दूर ही। यानी चाय का प्याला हाथ में तो आया, मुंह तक न आ पाया।
वो तो भला हो सपा-बसपा का जिसने चाय के प्याले में मिठास घोली और प्याला मुंह तक भी ले गए। कांग्रेस की सरकार तो अब बन ही जाएगी। फैसला तो अब बस मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर होना है।