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हिंगोनिया गोशाला में गायों की मौत पर सरकार की सफाई

cowsजयपुर : दो सप्ताह में 500 गायों की मौत की खबर पर कोर्ट की नाराजगी के बाद सरकार ने सफाई देते हुए मरने वाली गायों को बूढ़ी और बीमार बताते हुए गौशाला में किसी भी अव्यवस्था से इनकार किया है. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से हिंगोनिया गो पुनर्वास केन्द्र में गोवंश के संरक्षण और संवद्र्धन के लिए सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित की जा रही हैं. गोशाला में जिन गायों की मृत्यु हुई हैं, वे पहले से ही बीमार एवं कुपोषित थीं और इन्हें कुछ समय पहले ही गोशाला में लाया गया था. पशु पालन विभाग के शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने बताया कि हिंगोनिया गोशाला में 8 हजार से अधिक गोवंश है, जिनकी देखरेख के लिए 14 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगी हुई है. साथ ही 24 पशुधन सहायक भी कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि यहां गायों की देखभाल, इलाज, चारे और पानी की व्यवस्था में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है और कुछ पशुओं की मृत्यु होने की वजह उनका पहले से ही बूढ़ा, बीमार एवं कुपोषित होना है.
आवारा पशु अभियान से बढ़ी कुपोषित गोवंश की आवक
मीणा ने बताया कि बीते दिनों आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए चलाए गए विशेष अभियान के कारण गोशाला में गायों की आवक बढ़ गई थी. 15 जुलाई से 31 जुलाई तक ही 1228 पशु पकड़े गए, जबकि जून माह में भी 1066 पशु गोशाला में लाए गए. उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकतर गोवंश कुपोषित और बीमार था. साथ ही, पिछले 10-12 दिनों से लगातार रूक-रूक कर हो रही बारिश के कारण गोशाला परिसर में कीचड़ की स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसे लगातार साफ करवाया जा रहा है ताकि पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर न पडे़. पशु पालन सचिव ने बताया कि गायों की समुचित देखरेख और चारा-पानी के लिए राज्य सरकार की ओर से विगत वर्षों के मुकाबले अधिक धनराशि खर्च की जा रही है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2011-12 में जहां 3 करोड़ 59 लाख रुपये खर्च किए गए थे, वहीं वर्ष 2015-16 में यहां 10 करोड़ 78 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. उन्होंने बताया कि गोशाला में चारा-पानी की व्यवस्था की सतत निगरानी की जाती है और चारे का 7 दिन का स्टॉक हमेशा बना रहता है. मीणा ने बताया कि गोवंश के स्वास्थ्य पर निगरानी के लिए गोशाला परिसर में 15 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. साथ ही, लगभग 200 कर्मचारियों को पशुओं को चारा डालने, देखरेख करने और बीमार पशुओं के इलाज में मदद के लिए नियुक्त किया गया है. बीमार गोवंश को अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए लिफ्ट-युक्त वाहन उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि इस केन्द्र में शेड निर्माण और पशु गृह विकास के लिए वर्ष 2014-15 में 7 करोड़ 59 लाख एवं वर्ष 2015-16 में 2 करोड़ 16 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. बीमार पशुओं के पैरों को चोटिल होने से बचाने के लिए बाड़ों को कच्चा रखा गया है तथा सभी बाड़ों में डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जा रही है.

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