नई दिल्ली : केरल में सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर खूब विवाद हो रहा है। पूरे केरल में हिंसा को दौर जारी है। पिछले दिनों दो महिलाओं ने मंदिर के गर्भग्रह तक पहुंचकर सालों से चली आ रही परम्परा का अंत कर दिया था। जिसके बाद हिंसा भड़क उठी थी। उसके बाद एक विदेशी महिला ने मंदिर में पहुंचकर भगवान के दर्शन किए थे। मंदिर के गर्भग्रह में पहुंच भगवान के दर्शन करने वाले बिंदु अमीनी और कनका दुर्गा ने एक निजी चैनल द्वारा लिए गए साक्षात्कार में कहा कि इस कदम से उनके जीवन को खतरा हो सकता था, लेकिन यह उनका संवैधानिक अधिकार है। कनका दुर्गा ने कहा, मुझे पता था कि मेरा जीवन खतरे में हो सकता है लेकिन मैं फिर भी मंदिर में जाना चाहती थी। हमें खुद पर गर्व है कि जो महिलाएं अब मंदिर जाना चाहती हैं उनके लिए हमने रास्ता आसान किया है। बिंदु ने कहा, हम मंदिर में गए क्योंकि वह हमारा संवैधानिक अधिकार था। यह भक्ति के बारे में है लेकिन यह लैंगिक समानता के बारे में भी है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार भी उनके मंदिर जाने के विरोध में था। केरल पुलिस की विशेष ब्रांच ने कहा है कि अभी तक मंदिर में करीब 10 महिलाएं दर्शन कर चुकी हैं। जिसमें से तीन महिलाएं मूल रूप से तमिलनाडु की हैं। पुलिस का ये भी कहना है कि कनका और बिंदु के मंदिर में प्रवेश से एक दिन पहले तीन मलेशियन महिलाओं ने मंदिर में दर्शन किए थे। इन महिलाओं ने कहा है कि ये 50 साल से कम की पहली ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने मंदिर में प्रवेश किया है।
बिंदु ने कहा कि सरकार ने उनकी यात्रा को आसान बनाने के लिए उनसे सीधे कोई संपर्क नहीं किया। लेकिन बेसकैंप में पहुंचने के बाद समर्थन प्राप्त हुआ। इन महिलाओं ने बुधवार की रात 3 बजे के करीब दर्शन किए थे। पुलिस सुरक्षा में महिलाओं ने दर्शन किया और साइड गेट से अंदर गईं, ताकि किसी अन्य श्रद्धालु की उनपर नजर न पड़े। महिलाओं को जान के खतरे के चलते राज्य पुलिस के संरक्षण में रखा गया है। इस मंदिर में सदियों से रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी। अयप्पा भक्तों का मानना है कि इस वर्ग की महिलाएं अपवित्र होती हैं इसलिए मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकतीं। पूरे प्रदेश हिंसा की आग में जल रहा है। जगह-जगह देसी बम से हमले भी हुए। पुलिस ने हिंसा के आरोप में 3000 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है।