हिमाचल का काला जीरा और चुली के तेल के पेटेंट की तैयारी
हिमाचल प्रदेश में पाया जाने वाला काला जीरा और चुली के तेल को जल्द ही पेटेंट करवा लिया जाएगा. काला जीरा और चुली के तेल की अब भौगोलिक रूप में अलग पहचान बनेगी.
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पेटेंट की दिशा में बोर्ड ने शुरू की पहल
राज्य जैव विविधता बोर्ड ने काला जीरा और चुली के तेल को पेटेंट करवाने का काम शुरू कर दिया है. राज्य जैव विविधता बोर्ड के संयुक्त सदस्य सचिव कुणाल सत्यार्थी के अनुसार, इन दोनों वस्तुओं का पेंटेंट होने जाने के बाद देश ही नहीं विश्व में का नाम इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि पेटेंट होने के बाद नकली काला जीरा और चुली के तेल की ब्रिक्री पर रोक लगेगी. उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि इन दोनों उत्पादों को पेंटेंट करवाने के लिए बोर्ड की टीम दिल्ली में डटी हुई है.
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किन्नौर में पाया जाता है काला जीरा
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला में काला जीरा पाया जाता है. जबकि चुली का तेज हिमालय के ऊपरी इलाकों में पाया जाता है. गौरतलब है कि हिमाचल में अभी पांच उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (जीयोग्राफिकल इंडीकेटर) का दर्जा मिल चुका है. इसमें चंबा का रूमाल, कांगड़ा की पेंटिंग, कुल्लू और किन्नौरी शॉल और हिमाचली टोपी शामिल है.