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हिमाचल में मुस्लिम समुदाय ने सराहा तीन तलाक बंद करने का फैसला

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से तीन तलाक पर दिए गए फैसले को मुस्लिम समुदाय के संगठनों ने सराहा है। संगठन चाह रहे हैं कि अब जल्दी से कानून बनाया जाए। मुस्लिम समुदाय के संगठनों का कहना है कि तीन तलाक को इस्लामिक कानून में भी अच्छा नहीं बताया गया है।
अब तीन तलाक खत्म होने से महिलाओं को भी राहत मिलेगी। उनका भविष्य भी सुरक्षित हो सकेगा। चंबा में हालांकि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के लोग खुलकर सामने नहीं आए लेकिन उन्होंने फैसले की सराहना की।

डिस्ट्रिक्ट अंजुमन इस्लामिया जिला चंबा के अध्यक्ष दिलदार अली शाह ने कहा कि देश का कानून सर्वोच्च है। सुप्रीम कोर्ट का ट्रिपल तलाक पर फैसला सही है। इस्लाम तोड़ना नहीं, जोड़ना सिखाता है। उधर, मदनी मदरसा मसबाड़ी के संचालक मोहम्मद रोशन कासमी ने बताया कि ट्रिपल तलाक को इस्लामिक कानून में भी अच्छा नहीं बताया गया है।

इस पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सही है। इस्लामिक कानून के अनुसार तीन माह में एक-एक कर तलाक देने का रास्ता अपनाना चाहिए। एक माह में तलाक देने से मियां-बीबी को इस पर सोचने के लिए समय मिल जाता है।

यदि दोनों साथ रहने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो दूसरे माह दूसरा तलाक देना चाहिए। फिर मियां-बीबी में सुलह हो जाती है तो एक मौलवी को बुलाकर दोनों का फिर से निकाह करवाया जाता है। वहीं, दूसरे माह भी दोनों में बात न बनने पर तीसरे माह अंतिम तलाक दिया जा सकता है।

 
 

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