नुसरत फतेह अली खान की आवाज और शब्दों का जादू कुछ ऐसा जो बार सुन ले वो बस उन्ही का हो जाता। ऐसे में ‘मेरे रश्के कमर…’, से ‘ये जो हल्का हल्का सुरूर है…’ तक हम आपके लिेए लाए है उनके कुछ ऐसे गाने जो पीड़ियो की पीड़ियां गुनगुनाती जाएंगी।
‘मेरे रश्के कमर…’
ये गाना अाज किसी की जुबान से उतरने का नाम ही नहीं लेता लेकिन कम ही लोगो को पता होगा कि सबसे पहले ये गाना उस्ताद नुसरत फतेह अली खान ने गाया था।
मैंने पत्थर से जिनको बनाया सनम….
नुसरत उन बहुत कम लोगो में से है जिन्हे जीते जी इतनी महोब्बत नहीं मिली जितनी जिंदगी से रुखसती के बाद मिली।
https://youtu.be/ZaoY7IjU2go
अाफरीन…
आज नुसरत के गाने जितना लोग पसंद करते हं उतना शायद ही किसी को पसंद किया जाता हो।
ये जो हल्का-हल्का सुरूर है….
आज भी नुसरत फतेह अली खान की आवाज कानों में पड़ती हैं, तो बहुत से लोग मंत्रमुग्ध होकर उनकी गायकी में खो जाते हैं।
अंखिया उड़ेक दिया…
उनकी आवाज के अनूठेपन और रूहानियत को चाहकर भी भुलाया नहीं जा सकता है।
https://youtu.be/vI4GXh6SNXI
अल्लाह हू…
उनकी आवाज-उनका अंदाज, उनका हाथों को हिलाना, चेहरे पर संजीदगी का भाव, संगीत का उम्दा प्रयोग। शब्दों की शानदार रवानगी।।। उनकी खनक।।। सब कुछ हमें किसी दूसरी दुनिया में ले जाने पर मजबूर करता है।
https://youtu.be/uAHoeaAMj5s