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है ’19 तक ‘साथ’, ’17 में होती रही ’22 की ‘बात’!

यदि मैं ना भी कहूं फिर भी वर्ष 2017 केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के कथित बड़बोलेपन के लिए ही जाना जाएगा। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ केन्द्र में सत्तासीन हुई भाजपा नीत एनडीए सरकार का कार्यकाल पांच वर्ष यानी 2019 तक ही है, लेकिन सरकार की ज्यादातर जनहित से जुड़ी योजनाओं के पूरे होने की मियाद वर्ष 2022 निर्धारित है। इसे सरकार से संबद्ध दिग्गज नेताओं का आत्मविश्वास कहें या नक्कारेपन पर परदा डालने का कुत्सित प्रयास? यही सबसे बड़ा सवाल है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव होगा। उस चुनाव में जो जीतेगा, उसकी सरकार बनेगी। लिहाजा, कह सकते हैं नया वर्ष 2018 केन्द्र की मोदी के लिए बीते वर्षों में की गई उपलब्धियों को गिनाने का वर्ष होगा। वहीं विपक्ष भी सरकार की कथित नाकामियों को उजागर करने की कोशिश करेगा। विपक्ष जनता यानी आम मतदाता को यह बताने का प्रयास करेगा कि जिस वादे और इरादे को लेकर नरेन्द्र मोदी पीएम की कुर्सी तक पहुंचे, वे वादों पर खरे नहीं उतरे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो वर्ष 2018 कथित रूप से चुनाव प्रचारके साल के रूप में देखा जाएगा। इस दरम्यान जिसकी नीतियां जनता को पसंद आएगी, वह 2019 के आम चुनाव में सिकंदरबनकर उभरेगा। पर, विडम्बना यह है कि बीते वर्ष 2017 में केन्द्र की मौजूदा मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2019 के बजाय वर्ष 2022 पर फोकस किया गया। वर्ष 2019 का आम चुनाव जीते बगैर ही मोदी सरकार 2022 तक अपनी योजनाओं के पूरे होने का रट लगाती रही।

राजीव रंजन तिवारी

भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली के अनुरूप यहां कोई भी सरकार (केन्द्र हो या राज्य) सिर्फ पांच वर्ष के लिए चुनी जाती है। फिर आम चुनाव होता है और उस चुनाव में जिसकी जीत होती है, उसकी सरकार बनती है। इस स्थिति में यह सवाल लाजिमी है कि आखिर मोदी सरकार द्वारा अपने पांच वर्ष यानी 2019 तक के कार्यकाल तक की योजनाएं क्यों नहीं बनाई गईं? यदि सरकार द्वारा वर्ष 2019 तक पूरी होने वाली योजनाएं बनाई गई होती तो उसे चुनाव प्रचार में भी सहूलियत होती। वह जनता को न सिर्फ बताती बल्कि दिखा देती कि उसने जनहित से जुड़े अनेक योजनाओं को पांच साल में अमली जामा पहनाया है। उसके पांच वर्ष के कार्यकाल में देश में चारों ओर खुशी की लहर दौड़ रही है। वह बता पाती कि उसने करोड़ों युवाओं को रोजगार दिया है। करोड़ों किसानों का दुख-दर्द खत्म कर दिया और किसानों की आत्म हत्याएं रूक गई हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर उसने दुनिया में देश का नाम रोशन किया है। दुनिया के अन्य देश भी भारतीय योजनाओं का अनुकरण कर उसे अपने यहां लागू कर रहे हैं। देश की विदेश नीति को मजबूत करने के नाम पर पिछले करीब पौने चार वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह दुनिया का सैर किया है, उसका भी कुछ खास असर नहीं दिखा। क्योंकि पड़ोसी चीन की अकड़ पहले से ज्यादा हो गई है और पाकिस्तान तो खुराफात करने में अव्वल है ही। आंतरिक और बाह्य रक्षा मामलों में हो सकता है कुछ विकास हुआ हो, जिसे गोपनीय व सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं होने दिया गया हो, पर जो दिख रहा है, उसमें कुछ खास प्रगति जैसी नहीं है। अफसोस कि शायद सरकार उक्त मामलों में फिसड्डी रही है। इसीलिए वह वर्ष 2019 की जगह वर्ष 2022 तक योजनाओं के पूरे होने की बात कर रही है।  

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय शाह की संपत्ति में अचानक हुई हजारों गुणा बढ़ोतरी की खबर ब्रेक कर भारतीय राजनीति में हलचल मचाने वाले हिन्दी न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का कार्यक्रम ‘जन गण मन की बात’ का 171वां एपीसोड वर्ष 2022 वाले मुद्दे को समझने के लिए काफी है। विनोद दुआ ने साफ शब्दों में कह दिया है कि केन्द्र सरकार के पास 2019 तक अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए शायद कुछ भी नहीं है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व केन्द्र सरकार के मंत्री वर्ष 2022 तक जनहित से जुड़ी सरकारी योजनाओं के पूरे होने की चर्चा कर रहे हैं। सरकारी कामकाज की खामियों पर बेबाक टिप्पणी, संसदीय व मर्यादित भाषा में शानदार आलोचक के रूप में मशहूर वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने ‘जन गण मन की बात’ के 171वें एपीसोड में कहा है कि वर्ष 2018 में सरकार की ओर से जनता को केवल 2022 का गान ही सुनने को मिलेगा। क्योंकि 2019 तक जनता को दिखाने के लिए सरकार के पास कुछ खास नहीं है। जबकि 2019 में आम चुनाव है। बड़ी चालाकी से यह कहते हुए ‘गोल पोस्ट’ को तीन वर्ष आगे बढ़ा दिया गया है कि 2022 में आजादी का 75वां सालगिरह है। बकौल विनोद दुआ, जबकि आजादी की लड़ाई में इस सरकार के राजनीतिक परिवार का कोई योगदान ही नहीं था। उनके अनुसार वर्ष 2017 में भी पीएम नरेन्द्र मोदी समेत सरकार व भाजपा से जुड़े ज्यादातर नेताओं ने जनता में यही संदेश देने की कोशिश की कि वर्ष 2022 तक ‘मोदी सरकार’ ढेर सारी सौगातें देगी। अंग्रेजी में सरकार ने इसे ‘न्यू इंडिया’ का नाम दिया है। हिन्दी में इसे ‘संकल्प से सिद्धि तक’ नाम से नारा का रूप दिया गया है।

जैसा कि मैने बताया है कि सरकार ने वर्ष 2017 में 2019 का जिक्र कम से कम किया है। ‘जन गण मन की बात’ के 171वें एपीसोड में विनोद दुआ ने जानकारी दी है कि यूपी विधानसभा चुनाव-2017 में भाजपा की भारी बहुमत से जीत के बाद 12 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी मुख्यालय में कहा था यूपी का चुनाव परिणाम सिद्ध करता है कि एक नया भारत पैदा हो रहा है। इस दौरान पीएम भावूक भी हो गए थे और कहा था कि हम उनमें से नहीं, जो सिर्फ चुनाव के लिए काम करते हैं। हम संकल्प लेते हैं कि 2022 तक एक बेहतर भारत बनाएंगे। विनोद दुआ कहते हैं कि अब 2019 तक कुछ करने का वक्त बीत चुका है। इसलिए जो कुछ भी होगा, वह 2022 तक होगा। 14 अप्रैल को नागपुर में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की जयंती समारोह के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि मेरे पास एक सपना है 2022 का। सबसे गरीब से गरीब व्यक्ति के पास भी 2022 तक अपना घर होना चाहिए, जिसमें बिजली-पानी व अन्य सुविधाएं भी हों। उसके आसपास अस्पताल और स्कूल भी हो। मतलब ये कि 2019 में तो आप हमें जीता ही दीजिए, 2022 में हम यह सब करके दे देंगे। इसके तीन दिन बाद 17 अप्रैल को पीएम ने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर देंगे। दरअसल, यह तो एक बानगी है। पूरे एक वर्ष यानी 2017 में पीएम नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अन्य केन्द्रीय वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा कब-कब 2022 में देश को सौगातें देने की बात कही गई, उसकी लम्बी फेहरिस्त है, जिसे पत्रकार विनोद दुआ ने अपने कार्यक्रम में पेश किया है।

बहरहाल, गुजरात चुनाव के बाद भाजपा के लिए एक बड़े चुनौती के रूप में ऊभरे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी निश्चित रूप से सरकार की खामियों को जन-जन तक पहुंचाने की रणनीति बनाएंगे। साथ ही कांग्रेस मतदाताओं को इस बात के लिए जागरूक भी करेगी वह मोदी सराकर के कामकाज का हिसाब मांगे। वैसे पिछले करीब पौने चार साल में मोदी सरकार ने जनहित में क्या-क्या किया, यह सबको पता है। शायद पीएम मोदी और उनके कैबिनेट के लोग भी जानते होंगे कि देश की जनता पहले से कितना खुशहाल है। शायद संदेश नकारात्मक है, इसीलिए 2019 का चुनाव जीतने के लिए वर्ष 2017 से ही 2022 का राग अलापना आरंभ कर दिया गया है। निश्चित रूप से वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ की यह बात सही प्रतीत हो रही है कि नए वर्ष 2018 में ज्यादातर सभाओं में पीएम व भाजपा नेताओं द्वारा 2022 की ही चर्चा की जाएगी। यह सब इसीलिए होगा कि जनता मोदी और भाजपा पर वर्ष 2014 की भांति भरोसा कर 2019 में उन्हें पुनः सत्तासीन करें। खैर, देखना है कि सरकार वर्ष 2018 में क्या करती है?

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए लेखक के निजी विचार हैं। दस्तक टाइम्स उसके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।)

 

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