होली रंगों का त्योहार है पकवानों का त्योहार है। मगर क्या आप जानते हैं कि होली वैज्ञानिकी तौर पर भी महत्वपूर्ण त्योहार है। अब आप सोच रहे होंगे की कैसे तो हम आपको बता दें कि वैज्ञानिकों का कहना है कि होली में इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग रंग एक थैरेपी के जैसे काम करते हैं। अलग-अलग रंग शरीर और दिमाग को संतुलित रखता है। साथ ही आपके दिमाग को बूस्ट भी करते हैं। मौजूदा वक्त में रोगों को खत्म करने वाली कलर थैरेपी भी इसी खूबी का ही हिस्सा है। वहीं इजिप्ट और चीन में इसका इस्तेमाल पुराने समय से इसका उपयोग इलाज के तौर पर किया जा रहा है।
लाल रंग
यह रंग गर्म प्रकृति का होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल दर्द के इलाज के लिए बेहतर माना गया है। यह एड्रिनेलिन हार्मोन को बढ़ावा देता है। अनिद्रा, कमजोरी और रक्त से जुड़े रोगों में राहत देता है। इसके अलावा हर रंग प्रकृति के रंग से मिला-जुला होता है और आंखों को सुकून पहुंचाता है। हार्मोन को संतुलित रखने के साथ शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
पीला रंग
यह रंग मानसिक उत्तेजना के साथ नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है। यह पेट और स्किन के साथ मांसपेशियों को भी ताकत देता है। इसके अलावा पेट खराब होने और खाज खुजली के मामलों में पीला रंग फायदा पहुंचाता है।
नीला रंग
इस रंग को ठंडा रंग माना जाता है और हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। कलर थैरेपी में इसका इस्तेमाल सिरदर्द, सूजन, सर्दी और खांसी के उपचार में किया जाता है।
नारंगी
नीला रंग उत्साह को बढ़ाकर फेफड़ों को मजबूत बनाता है। इसलिए नारंगी रंग अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस और किडनी इंफ्केशन के मामलों में उपयोगी साबित होता है।